For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनोज कुमार सिंह 'मयंक'
  • Male
  • Varanasi
  • India
Share on Facebook MySpace

मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Friends

  • Sarita Bhatia
  • Rekha Joshi
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • vijay tiwari 'kislay'
  • Dr.Rajendra Tela
  • Chaatak
  • अश्विनी कुमार
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • JAWAHAR LAL SINGH
  • राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
  • Santosh Kumar Singh
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
  • Mukesh Kumar Saxena
  • Sanjay Mishra 'Habib'
  • वीनस केसरी

मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Groups

 

मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
वाराणसी
Native Place
वाराणसी
Profession
शिक्षण
About me
अहं ब्रम्हास्मि

मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Photos

  • Add Photos
  • View All

मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Blog

दो परिंदे (लघुकथा)

दो परिंदे थे | दोनों में बड़ा प्रेम था | दोनों साथ ही रहा करते थे | जहां भी जाते एक साथ | जो भी खाते मिल बाँट कर खाते | दोनों ने एक ही वृक्ष की एक ही डाली पर एक ही प्रकार के तिनकों से एक साथ घरौंदा बनाया | एक दिन एक परिंदा बीमार पड़ गया | दूसरे ने भी खाना पीना छोड़ दिया किन्तु ऐसा कब तक चल सकता था ? स्वस्य्घ परिंदे ने सोचा मेरा भाई कमजोर हो गया है | कुछ दाने अपने चोंच में भरकर लेता आऊँ, हो सकता है मेरा भाई ठीक हो जाय? वह दाना इकठ्ठा करने चला गया | थोड़ी देर में एक और परिंदा उस पेड़ पर आया | उसने…

Continue

Posted on March 13, 2014 at 11:02pm — 6 Comments

दुर्मिल सवैया

आठ सगण

(१)

जब से यह देश अजाद भयो, तब से हर ओर जहालत है |

अपना सब देइ दियो जग को, अबहूँ यह नागन पालत है |

घनघोर घटा, चमके बिजली परिधान सुखावन डालत है |

सब ओर भयानक दृश्य दिखे तज हीरक कांच निकालत है |

(२)

धन भाग धरो तन भारत में, तप युक्त मही अति पावन है |

सत मारग हो, शुभ नीति चलो, अरु प्रेम सुपाठ सिखावन है |

रितु आइ रही, रितु जाइ रही, नदियाँ रसवंत लुभावन है |

जग अंध भले निज सारथ में पर से यह प्रीत निभावन है…

Continue

Posted on March 7, 2014 at 10:00am — 4 Comments

निर्वाचन चालीसा

संविधान की ले शपथ, उसको तोडनहार |

कछु पापी नेता भये, अनुदिन भ्रष्टाचार ||

जोड़ तोड़ के गणित में, लोकतंत्र भकुआय |

हर चुनाव समरूप है, गया देश कठुआय ||

अथ श्री निर्वाचन चालीसा | जिसने भी जनता को पीसा ||१||

वह नेता है चतुर सुजाना | लोकतंत्र में जाना माना ||२||

धन जन बल युत बाहुबली हो | हवा बहाए बिना चली हो ||३||

झूठी शपथ मातु पितु बेटा | सब को अकवारी भर भेटा ||४||

रसमय चिकनी चुपड़ी बातें | मुख में राम बगल में घातें ||५||

अपना ही घर आप उजाडू | झंडे पर…

Continue

Posted on March 6, 2014 at 10:29pm — 8 Comments

त्रिभंगी (एक प्रयास)

त्रिभंगी - १०, ८, ८, ६ (जगण पृथक शब्द के रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकता)

बैठी पदमासन, सब पर शासन, वरद अभय कर, मुसकाती |

वीणा रव सुन्दर, उर के अंदर, सब कुछ झंकृत, कर जाती ||

आशीष दयामयि, हे करुणामयि, सतत विमल हो, मति मेरी |

कोटिक रवि जागे, अघ तम भागे, जलधारा जनु, गति मेरी ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on March 4, 2014 at 5:00pm — 10 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:42pm on April 10, 2012, Mukesh Kumar Saxena said…
manoj mayank ji mai dharm par apki pritkriya ka intzaar kar raha hun kyu ki dharmik charcha se oorja milti hai. Muje karna nahi aata is liye mujhe frnd req kariye
At 10:47pm on April 2, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

dhanyavad. 

At 10:00pm on April 2, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

main to samajh raha tha ki mitr ban chuke hain. swagat hai aapka .

At 12:50pm on April 2, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

adarniya mayank ji, sadar abhivadan, rachna ke saath apka sneh. man gadgad hua. aapki mehnat , pyar ka fal hai. dhanyvad.

At 10:45pm on March 16, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 10:10pm on March 12, 2012, वीनस केसरी said…

ओ. बी. ओ. परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है

At 9:41pm on March 12, 2012, Santosh Kumar Singh said…

जोड़ने के लिए आभार मनोज भाई 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service