वो ख़ूबसूरती नहीं है उनमें
काली अंधेरी रात सी चमड़ी
जैसे अमावस की रात मुखरित
काली नदी की तरह बहाव है
उन्माद भी उनमें, आग भी
सीसम की लकड़ी सी चमक भी
मजबूरी से कसमसाती हुई
मर नहीं पाती उनके भोगने तक
ज़िंदगीभर खूबसूरती खोजती
आँखों में चकाचौंध करने वाला
सफ़ेद घोडा दौड़ता है ताकत से
चने खाता तो मानते, जिस्म खाता है
भाता है केवल रूह छोड़कर सबकुछ
जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर…
ContinueAdded by Pankaj Trivedi on March 31, 2015 at 10:00am — 16 Comments
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