दिखा दे आईना मिला दे खुदी से
अब ऐसे कोई इम्तहान नहीं होते ......
मसीहा के घर न उगे ज्यों मसीहा
बेईमान के हमेशा बेईमान नहीं होते.......
गलियों के ज़िम्मे वो मासूम बचपन
जिनके सर निगेहबान नहीं होते ........
किस्से उनके भी कम नहीं होते
जिनके कभी दर्ज़े बयान नहीं होते ......
महलों में ही चलती हैं…
Added by amita tiwari on March 26, 2016 at 8:04pm — 9 Comments
Added by amita tiwari on March 25, 2016 at 8:30pm — 2 Comments
Added by amita tiwari on March 3, 2016 at 11:42pm — 7 Comments
Added by amita tiwari on March 1, 2016 at 1:30am — 2 Comments
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