Added by Anvita on May 31, 2020 at 3:49pm — 10 Comments
भीगी दुःखती ऑखे लेकर,
हम सपनों को पाने निकले,
मन के चिटके दप॔ण में,
गीला अक्स सजाने निकले।
जीवन शतरंज की गोटी, सिर्फ
हराए हरेक चाल पर,ऊपर बैठा
गजब खिलाड़ी ,हम भी
क्या दीवाने निकले ।
ऑख तौलती भार स्वप्न का,
होंठ हंसी की परिधि नापते,
सौदागर इस बस्ती में, क्या- क्या तो
कमाने निकले ।
महज उदासी पाई मन ने,
अपनेपन के रिश्तों में,
कुछ कदमों तक साथ चले थे,
बेहतर तो बेगाने निकले।
अन्विता ।
मौलिक एवं…
Added by Anvita on May 18, 2020 at 12:30pm — 4 Comments
Added by Anvita on May 18, 2020 at 8:13am — 7 Comments
Added by Anvita on May 16, 2020 at 8:54pm — 6 Comments
Added by Anvita on May 10, 2020 at 11:23pm — 3 Comments
Added by Anvita on May 9, 2020 at 6:03pm — 2 Comments
विदा लेता है कोई मन से इस तरह
कि जैसे
पलक भर झुकी हो
और दृश्य बदल जाए।
रात भर ऑसुओ से भीगा गिलाफ तकिये का
सुबह धुल जाए।सूजी हुई आंखें
पानी के छींटो से ताजा दम हो
काजल और बिखर जाए।बाकी हो बहुत कुछ कहना
और सांस का तार टूट जाए।
सूरज पर रहती हैं निगाह चौकस
चांद का क्या पता, कब निकले कब
ढल जाए।
.
मौलिक एवं अप्रकाशित
अन्विता ।
Added by Anvita on May 7, 2020 at 9:00pm — 5 Comments
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