ढलती शाम के वक्त खचाखच भरी बस में सेंट की खूशबू में लबालब जैसे ही वह दो लड़कियां चढ़ी तो सभी का ध्यान उनके जिस्म उघाड़ू तंग कपड़ों की ओर स्वत ही खिंचता चला गया । बस की धक्कमपेल का नाजायज़ फायदा उठाते हुए कुछ छिछोरे किस्म के लड़के रह रह कर उन्हे स्पर्श करते हुए बीच बीच में कुछ असभ्य कमेंट भी कर रहे थे परन्तु वो दोनों लड़कियां इन सबसे बेपरवाह आपस में हँस-हँस कर बातें करने में व्यस्त थीं।
‘इधर बैठ जाओ बेटी !’ सीट पर बैठा हुआ एक बुर्जुग बच्चे को सीट से अपनी गोद में बिठा कर थोड़ा एक तरफ…
Added by Ravi Prabhakar on July 21, 2015 at 8:30am — 22 Comments
‘मंत्री जी ! ‘भाई’ अब फिर से नयी ‘डिमांड’ कर रहा है। पिछले हफ्ते डी.आई.जी. साहिब को ‘सेवा’ पहुँचाई है और अभी ‘पार्टी फंड’ भी जमा करवाना है । आपको तो पता ही है कि आपके इलेक्शन के वक्त भी हम किसी भी तरह पीछे नहीं हटे थे। तो फिर कभी ‘भाई’ तो कभी पुलिस। ऐसे कैसे चलेगा ?’
‘अरे परेशान काहे हो रहे हो। अब अकेले तुम्हारी वजह से ही तो इलेक्शन नहीं न जीते हैं हम... सभी ने साथ दिया था हमारा और ध्यान भी तो सभी का ही रखना पड़ेगा ना। और तुम घबरा काहे रहे हो, ऊ ससुरा जो पुल बना रहे हो ना उसमें से दो…
Added by Ravi Prabhakar on July 18, 2015 at 12:08am — 9 Comments
‘अरे बहू ! चाय नहीं लाई अभी तक, और अखबार कहाँ है, मेरा शेव का सामान भी नज़र नहीं आ रहा।’
‘बाबू जी, पहले बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज दूँ फिर आपके लिए चाय बनाती हूँ। अखबार तो अभी मुन्नी के पापा पढ़ रहें है आप बाद में आराम से पढ़ लेना। और अब आपको हर रोज़ दाढ़ी बनाने की क्या ज़रूरत ही ? आपको अब कौन सा दफ्तर जाना है।’…
ContinueAdded by Ravi Prabhakar on July 12, 2015 at 11:00am — 11 Comments
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