‘अरे बहू ! चाय नहीं लाई अभी तक, और अखबार कहाँ है, मेरा शेव का सामान भी नज़र नहीं आ रहा।’
‘बाबू जी, पहले बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज दूँ फिर आपके लिए चाय बनाती हूँ। अखबार तो अभी मुन्नी के पापा पढ़ रहें है आप बाद में आराम से पढ़ लेना। और अब आपको हर रोज़ दाढ़ी बनाने की क्या ज़रूरत ही ? आपको अब कौन सा दफ्तर जाना है।’
.
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय रवि सर आपकी रचना सच्चाई बयाँ कर रही है हालाँकि मेरे रिटायर होने में समय है:-) लेकिन तकलीफ तो समझ में आती है, बहुत बहुत बधाई आपको
बढ़िया कथा | हार्दिक बधाई आदरणीय |
प्रिय अनुज रवि , क्या बात है ! सेवानिवृति के बाद की अपनी अलग प्रकार की तकलीफें होतीं है , आपने सच बात कही है । मै भी सेवानिवृत हूँ , अच्छे से समझ सक रहा हूँ । कथा के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।
बहुत बढ़िया लघुकथा , एकदम सधे शब्दों में एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की स्थिति बतादी आपने । लेकिन इसका शीर्षक कुछ और रखना था क्योंकि शीर्षक पढ़ने के बाद पहली ही पंक्ति में कथा समझ में आ गयी थी । बधाई आदरणीय इस लघुकथा के लिए..
बहुत सही चित्रांकन ...बधाई स्वीकार करें..
तीनों चीजे एक साथ चाहिए ..बढ़िया कथा ..सादर नमस्ते
आदरणीय रवि जी सेवानिवृत्त की स्थिति को रेखांकित करने में सफल रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online