कौन कहता है कि इतिहास कोईअदालत होती है
जिस में हार गयों की महज़ मुखाल्फत होती है
और यह भी कि
यह केवल विजयी का फलसफा लिखती है
सफे पर सफा लिखती है
इसलिए मान लिया जाना चाहिए
कि जीत यकीनन लाजिमी है
कैसे भी हो पर हो केवल विजय
लेकिन
शायद सही हो…
Added by amita tiwari on August 23, 2019 at 1:00am — 4 Comments
सुनो
वहम है तुमको
कि स्वर मिला स्वर में तुम्हारे.
मैं कृत -कृत हो जाऊंगी…
Added by amita tiwari on August 17, 2019 at 2:00am — No Comments
बूँद भर
आँख में ठहरा रहा
अश्रू सम बहरा रहा
विस्फरित हो तन गया
बूँद भर जल बन गया
कह दिया न कहना था जो
न सहा वो सहना था जो
था ही क्या जो कह गया
मन बेमन हो रह गया
एक ताला बनती चाबी
प्रश्न- माला कितनी बांची
कैसे झटका सह गया
मोती -मोती कह गया
कैसे -कैसे मन ने टाला
मन ही ने लेकिन उछाला
झरना सा सब झर गया
बूँद भर जल रह…
ContinueAdded by amita tiwari on August 1, 2019 at 1:30am — 3 Comments
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