बह्र:- 221 2121 1221 212
मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया
मुद्दत हुई तो यार का दीदार हो गया
वो जो चला गया है मेरा शह्र छोड़ कर
लगता है ऐसा मुझको मैं बीमार हो गया
बेमोल ही रहे न किया ज़िंदगी से ग़म
तूने छुआ मुझे तो मैं दीनार हो गया
था मर्ज़ ऐसा जिसकी नहीं थी दवा कोई
तू हाथ थाम कर मेरा तीमार हो गया
तूने गले लगाया "रिया" को मेरे ख़ुदा
लगता है जैसे क़द मेरा मीनार हो गया
"मौलिक व…
ContinueAdded by Richa Yadav on October 30, 2020 at 3:30pm — 10 Comments
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