आज का ये ही दौड़ है कहता ये वक्त है
है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है
उसी की ही आरती है , उसी का गुणगान है ,
घुमा फिर के बातों में बस उसी का बखान है .
इस बात का बयां , चेहरा करता अभिव्यक्त है .
है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है .
उसी की ही सेवा है, उसी का सुमिरन है .
उसपे ही "सागर" का निसार सारा जीवन है .
प्राणप्रिये के प्रेम में , जो तन-मन से आसक्त है .
है सुखी और सफल वही , बीवी का जो भक्त है .
उसी में ही श्रधा है…
Added by praveen singh "sagar" on October 21, 2012 at 1:00pm — 1 Comment
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