इन्तिज़ार इन्तिज़ार है तो है
ऐतबार ऐतबार है तो है /१
मैं हूँ नादाँ अगर तो, हूँ तो हूँ
वो अगर होशियार है तो है /२
छोड़कर मुझको सिर्फ़ इक वो चाँद
हिज़्र का राज़दार है तो है /३
कल वो हँसता था मेरी हालत पर
वो भी अब बेक़रार है तो है /४
दीद का लुत्फ़ हो गया हासिल
अब नज़र कर्ज़दार है तो है /५
...........................................
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
अरकान: २१२२ १२१२ २२
Added by Saarthi Baidyanath on November 2, 2015 at 3:30pm — 4 Comments
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