देखा है मेने अपने पिता को, अपने कंधो पर मेरी स्कुल बैग टांगे,
जीवन के बोझ को बड़ी मुस्कराहट के साथ निभाते, ।
हमेशा जिसने अपने दर्द से दुनिया के दर्द को बड़ा माना
लड़ता रहा वो मजबूरो और असाहायों के लिए
सारे ग्रहों की परिभाषाओ को निष्फल होते देखा है
मेने अपने पिता के आगे,
आज मुझ को घमंड है की तुम हो मेरे पिता
हां जिसने मुझको दिया है अपने खून का एक कण
जो आज एक वजूद बनकर खड़ा है इसी दुनिया के लिए कुछ करने को
हां मुझको गर्व है की तुम मेरे पिता…
Added by LOON KARAN CHHAJER on December 9, 2011 at 5:30pm — No Comments
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