ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब यौन शोषण की घटनाएँ खबरों में नहीं आती। खबर पढ़कर हृदय ग्लानि और अपराध-बोध के दलदल में धँस जाता है। खुद से पूछता हूँ- यह यौन शोषण है क्या? अब आप कहेंगे- कैसा अनपढ़ और गवाँर हूँ। यौन शोषण का अर्थ तक नहीं समझता। तो मैं आपसे पूछता हूँ। क्या आप सही मायने में इसका उत्तर बता सकते हैं? मेरा तात्पर्य उस प्रश्न से ही जुड़ा है। आखिर यह शोषण हमेशा स्त्रियों के साथ ही क्यों होता है? क्या यह शारीरिक रूप से पीड़ादायी है या मानसिक रूप से भी? क्या यह केवल शारीरिक है या पूर्णतः मानसिक?…
ContinueAdded by Kundan Kumar Singh on March 20, 2014 at 4:00pm — 1 Comment
करीब सुबह के दस बजे थे। एक सभ्य कुलीन महिला पुलिस स्टेशन पहुंची। तेज कदमों से वह इंस्पेक्टर की टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गई।
“मैं केस दर्ज कराने आई हूँ।‘’ महिला की आँखों में एक अजब-सा आक्रोश था।
“जी कहिए।“ इंस्पेक्टर ने टेबल पर पड़ी फाइलों से अपनी नजर हटाते हुए कहा।
“मेरा बलात्कार किया गया है।“
उसके इन शब्दों को सुनकर इंस्पेक्टर गंभीर हो गया। हाल-फिलहाल की घटनाओं को देखते हुए आला अधिकारियों की तरफ से सख्त निर्देश था कि ऐसे किसी भी मामले पर तुरंत कारवाई की जाए।…
ContinueAdded by Kundan Kumar Singh on June 18, 2013 at 9:30am — 11 Comments
मेरे प्राणेश-
यह आखिरी शाम,
और वह भी ,बीत गयी।
तुम्हारी वह, खामोशी,
आज फिर से, जीत गयी।
कुछ भी तो मुझे न मिला,
न राधा का अभिमान,
न मीरा का सतीत्व।
फिर कैसे मिलता,
मेरे यौवन को व्यक्तित्व।
क्योंकि सागर की, बाहों में हीं,
नदी पाती है अस्तित्व।
काश! तुम समझ…
Added by Kundan Kumar Singh on May 7, 2013 at 9:00pm — 9 Comments
माँ -
बहुत कोशिश की मैंने ,
इन आँसुओं को पीने की,
कुछ और,दिन जीने की।
इस अँधेरे , घर में,
जहाँ मेरा कुछ भी नहीं,
जहाँ मैं अभिशाप हूँ।
तुम्हारा कोई, पाप हूँ।
मगर मैं, अस्तित्वहीन ,
वेदना और दुख से क्षीण ,
आज भी, चुप-चाप हूँ।
यह मांग का सिंदूर,
जो सौभाग्य की निशानी है।
कैद मेरी आत्मा की,
अनकही, कहानी है।
जो कभी दुष्चक्र से,
निकल नहीं सकती।
मजबूर,अपने भाग्य को,
वह बदल नहीं सकती।
हर सुबह,जिसके…
Added by Kundan Kumar Singh on March 16, 2013 at 12:00pm — 7 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |