For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं तुम्हारी हूँ

मेरे  प्राणेश-

यह आखिरी शाम,

और वह भी ,बीत गयी।

तुम्हारी वह, खामोशी,

आज फिर से, जीत गयी।

कुछ भी तो मुझे न मिला,

न राधा का अभिमान,

न मीरा का सतीत्व।

फिर कैसे मिलता,

मेरे यौवन को व्यक्तित्व।

क्योंकि सागर की, बाहों में हीं,

नदी पाती है अस्तित्व।

काश! तुम समझ पाते,

मेरे जीवन की आश,

जैसे धरती और आकाश,

वही अधूरी प्यास,

तुम्हें पाने का एहसास।

शायद इसीलिए, अब तक,

चल रही थी साँस।

आज फिर वही तन्हाई है,

फर्क इतना- सा है,

कि तुम्हें मुझसे छुड़ाने,

स्वयं मौत चलकर आई है।

कैसे उसे समझाऊँ,

कि मैं एक विक्षिप्त हूँ।

तुम्हारी स्मृतियों के ,

अवसादों से लिप्त हूँ।

आज भी व्याकुल ,

विवश और, रिक्त हूँ।

करोड़ों सृष्टियाँ होंगी,

और करोड़ों जन्म।

यह आत्मा  ढुढ़ेगी,

जीवन  का मर्म।

मगर इसे मुक्ति न मिलेगी.

इस अधूरी आत्मा को,

कभी तृप्ति न मिलेगी।

क्योंकि मैं तुम्हारी हूँ।

सिर्फ तुम्हारी.........

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kundan Kumar Singh on May 11, 2013 at 8:42pm

धन्यवाद आप सभी का। खूबसूरत प्रतिक्रियाओं के लिए। मैं बेहतर और श्रेष्ठ रचनाओं के लिए प्रयासरत रहूँगा।

Comment by विजय मिश्र on May 10, 2013 at 12:35pm
"कैसे उसे समझाऊँ,
कि मैं एक विक्षिप्त हूँ।
तुम्हारी स्मृतियों के ,
अवसादों से लिप्त हूँ।
आज भी व्याकुल ,
विवश और, रिक्त हूँ।" ---- मन को कहीं गहरे छू जाती हैं .कितना जटिल होता है ऐसी अनमनस्यकताओं को व्यक्त करना! सराहनीय है कुन्दनजी .
Comment by बृजेश नीरज on May 10, 2013 at 12:26pm

बहुत सुन्दर प्रयास! आपको बधाई!
भाई विक्षिप्तता और विरह की वेदना में फर्क होता है। आपकी कविता कहीं से प्रेमिका के विक्षिप्त होने को नहीं उकेरती।
सादर!

Comment by Kundan Kumar Singh on May 9, 2013 at 6:27pm

धन्यवाद विजय जी। आप सभी बड़ों का आशीर्वाद सर आँखों पर।

Comment by vijay nikore on May 9, 2013 at 12:48am

आपकी कविता में भाव अच्छे लगे।

आप एक अच्छे कवि बनने के मार्ग पर हैं

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Kundan Kumar Singh on May 8, 2013 at 9:31pm

 शुक्रिया इस प्रोत्साहन के लिए। हालांकि मंच से जुड़े हुए एक-दो महीने बीत गए हैं मगर व्यस्तता के कारण ज्यादा रचनाएँ पोस्ट नहीं कर पाया।

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 8, 2013 at 8:50pm

आदरणीय कुंदन कुमार सिंह जी सादर, मंच पर आपकी रचना प्रथम ही पढ़ रहा हूँ. बहुत सुन्दर रचना है. बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 8, 2013 at 8:25am

आ0 कुन्दन जी,   अतिसुन्दर भाव, सुन्दर लय और समपर्ण। शुभकामनाओ सहित हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 8, 2013 at 5:15am

प्रयासरत रहें और इस मंच के अन्य रचनाकारों की सुगढ़ रचनाओं को पढ़ कर अपनी टिप्पणियाँ दें, कि, आपने उन रचनाओं में क्या पाया, समझा.

इस प्रस्तुति हेतु शुभेच्छाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
3 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
25 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service