मिल बैठ कर परिजनों ने बात नही की थी
पर नज़रें मिलीं थी आपसे
शहनाईयां नही बजी थी
पर तार दिलों के झनझनाए थे
दिए-बत्तिय़ों की चकाचौंध नही हुई थी
पर जज़्बातों की शम्मां रौशन हुई थी
महफिलें नहीं सजीं थी
पर दो जनों की मुलाकात…
ContinueAdded by minu jha on April 17, 2012 at 11:38am — 5 Comments
उसमे थी उच्छृंखलता,तुम शांति के करीब हो
वो थी सिर्फ एक घटना, शायद तुम मेरा नसीब हो
उसमे थी, पाने की चाहत तुम त्याग को प्यार कहते हो
उसकी बातें थी अविश्वसनीय,तुम विश्वास को आधार कहते हो
उसकी बातें हंसते हुए थी रुलाती,भरती थी मन में निराशा
तुम भी आशावादी,आस दिलाती तुम्हारे प्यार की भाषा
वो थी मेरी सबसे बङी भूल ,तुम सुधार बनके आऐ हो
वो था एक आकर्षण,तुम जिंदगी में प्यार बनके आऐ हो
जितना आसां है उसे भूल के जीना,उतना ही मुश्किल…
ContinueAdded by minu jha on April 3, 2012 at 11:36am — 8 Comments
विकल्पों की इस दुनियां में
बेरस से इस जहां में
तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा
तुम ही तो वो लम्हा हो
जिसे जीया है मैने
तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को
तो गीतों में पिरोया है मैंने
तुम्ही पर छोङ रखी है हर ख्वाहिश
एक ही तो है सपना,जिसे तुम्हारी ही
आंखों से देख रखा है मैने
तुम्हारे ही हर लफ्ज को कैद रखा है दिल में,
जिसे तुम्हारा ही आशियां बनाया है मैने
तुमसे ही तो खुशियों-गमों का रिश्ता…
ContinueAdded by minu jha on March 3, 2012 at 1:00pm — 26 Comments
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