उसमे थी उच्छृंखलता,तुम शांति के करीब हो
वो थी सिर्फ एक घटना, शायद तुम मेरा नसीब हो
उसमे थी, पाने की चाहत तुम त्याग को प्यार कहते हो
उसकी बातें थी अविश्वसनीय,तुम विश्वास को आधार कहते हो
उसकी बातें हंसते हुए थी रुलाती,भरती थी मन में निराशा
तुम भी आशावादी,आस दिलाती तुम्हारे प्यार की भाषा
वो थी मेरी सबसे बङी भूल ,तुम सुधार बनके आऐ हो
वो था एक आकर्षण,तुम जिंदगी में प्यार बनके आऐ हो
जितना आसां है उसे भूल के जीना,उतना ही मुश्किल है
बीताना एक भी पल तुम्हारे बिना
उसे तो रिक्तता भरनी थी,जिंदगी बना गया अंधेरी रात,
तुम आशा की किरण बनकर आए ,आओ ना साथ मिलकर कर डाले
जिंदगी की एक नई शुरूआत.
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उसकी बातें हंसते हुए थी रुलाती,भरती थी मन में निराशा
तुम भी आशावादी,आस दिलाती तुम्हारे प्यार की भाषा
वो थी मेरी सबसे बङी भूल ,तुम सुधार बनके आऐ हो..
कुशवाहा जी,इसी स्नेह की अपेक्षा हमेशा रहेगी,आभार
संदीप जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका
आदरणीय शाही जी,आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हुई
सादर आभार
सादर धन्यवाद जवाहर जी,उत्साहवर्धन के लिए
snehi minu ji, sadar, sundar bhav snjoye rachna, badhai.
ज़िंदगी को एक नयी और बेहतर शुरुआत देने को तत्पर सुन्दर रचना पर बधाई मीनू जी|
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