For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसमे थी उच्छृंखलता,तुम शांति के करीब हो

वो थी सिर्फ एक घटना, शायद तुम मेरा नसीब हो

उसमे थी, पाने की चाहत तुम त्याग को प्यार कहते हो

उसकी बातें थी अविश्वसनीय,तुम विश्वास को आधार कहते हो

उसकी बातें हंसते हुए थी रुलाती,भरती थी मन में निराशा

तुम भी आशावादी,आस दिलाती तुम्हारे प्यार की भाषा

वो थी मेरी सबसे बङी भूल ,तुम सुधार बनके आऐ हो

वो था एक आकर्षण,तुम जिंदगी में प्यार बनके आऐ हो

जितना आसां है उसे भूल के जीना,उतना ही मुश्किल है

बीताना एक भी पल तुम्हारे बिना

उसे तो रिक्तता भरनी थी,जिंदगी बना गया अंधेरी रात,

तुम आशा की किरण बनकर आए ,आओ ना साथ मिलकर कर डाले

जिंदगी की एक नई शुरूआत.

Views: 407

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 8, 2012 at 12:23am

उसकी बातें हंसते हुए थी रुलाती,भरती थी मन में निराशा

तुम भी आशावादी,आस दिलाती तुम्हारे प्यार की भाषा

वो थी मेरी सबसे बङी भूल ,तुम सुधार बनके आऐ हो..

मीनू जी नयी शुरुआत में ही दम है ...खुशियाँ चेहरे पर लौट आयें ..गुल गुलशन खिला रहे ये क्या कम है ..आओ छोड़ें  इतिहास ..आप की सब मुरादें पूर्ण हों 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५  
Comment by minu jha on April 5, 2012 at 11:38am

कुशवाहा जी,इसी स्नेह की अपेक्षा हमेशा रहेगी,आभार

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 11:37am

संदीप जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 11:36am

आदरणीय शाही जी,आपका आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हुई

सादर आभार

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 11:35am

सादर धन्यवाद जवाहर जी,उत्साहवर्धन के लिए

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 2:16pm

snehi minu ji, sadar, sundar bhav snjoye rachna, badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 3, 2012 at 12:49pm

ज़िंदगी को एक नयी और बेहतर शुरुआत देने को तत्पर सुन्दर रचना पर बधाई मीनू जी|

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2012 at 12:06pm
जब जागे तभी सवेरा! वही से कर दें एक नयी शुरुआत! जिंदगी की एक नई शुरूआत!
बहुत ही अच्छा सन्देश!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service