For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपवाद मेरे जीवन के

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम ही तो वो लम्हा हो

जिसे जीया है मैने

तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को

तो गीतों में पिरोया है मैंने

तुम्ही पर छोङ रखी है हर ख्वाहिश

 एक ही तो है सपना,जिसे तुम्हारी ही

आंखों से देख रखा है मैने

तुम्हारे ही हर लफ्ज को कैद रखा है दिल में,

जिसे तुम्हारा ही आशियां बनाया है मैने

तुमसे ही तो खुशियों-गमों का रिश्ता है

जिसे अपने ही चेहरे के डूबते-उबरते भावों

में छुपा रखा है मैनें

एक रूहानी एहसास हो तुम,जिससे

रूबरू एक बार ही होती है जिदगी,जिसे

सबसे चुराकर सजा रखा है मैने

तुम्हारी जगह,तुम्हारी कमी,वो रिक्तता

अपूरणीय है,नामुमकिन है उसे भरना

वर्तमान,भूत और भविष्य तक को तो

ये बता रखा है मेंने

अपने दिन रात,अपनी हर सांस का

हिसाब ऱखती हुं तुम्हारी खातिर

अगर पल भर भी भूली,तो बुला लेना पास

अपने, मौत को भी तो समझा रखा है मैने

फिर क्यों ये दुनियां मजबूर करती है मुझे

 

विकल्प ढूँढने को तुम्हारा

कहती है इकतरफा है ये प्यार मेरा

कैसे और किस किस को समझाऊँ मैं

फिर मेरे लिए क्या ये दुनियां,तुममे ही तो

एक दुनियां बसा रखा है मैने

तुम भी कह डालो ना मुझसे एक बार

सबके आगे,सबके सामने

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम तो अपवाद हो इस जीवन के !

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 12:12pm

आपकी सराहना मेरे लिए बहुत महत्व रखती है शाही जी

सादर धन्यवाद

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 12:08pm

राजीव जी ,समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 17, 2012 at 9:10pm

बहुत सुन्दर कविता लिखा है,मीनू  जी.

तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम ही तो वो लम्हा हो

जिसे जीया है मैने

तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को

तो गीतों में पिरोया है मैंने

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2012 at 11:14pm

आदरणीया मीनूजी,  बहुत ही अच्छी कविता हुई है. पढ़ने के क्रम में कई भाव उमगते और लुप्त होते रहे. किसी रचना द्वारा पाठक को संग बहा लेजाना रचना की सफलता है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by minu jha on March 14, 2012 at 8:14pm

राजेश जी

रचना को समय देने और सराहने के लिए सादर आभार

Comment by minu jha on March 14, 2012 at 8:13pm

महिमा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2012 at 5:02pm

man ke bhaavon ko ek sootra me achche se bandha hai sarahniye prayaas.

Comment by MAHIMA SHREE on March 12, 2012 at 4:41pm
एक दुनियां बसा रखा है मैने

तुम भी कह डालो ना मुझसे एक बार

सबके आगे,सबके सामने
विकल्पों की इस दुनियां में
बेरस से इस जहां में
क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

आदरणिया मीनू जी,
मन के व्यथा की सच्ची अभिवय्क्ति....
बिना लाग लपेट के.......बधाई...
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 10, 2012 at 11:58am

Shubhkamnaayen aap ke saath hai.

Comment by minu jha on March 10, 2012 at 11:04am

धन्यवाद अविनाश जी

आप सबों की सराहना प्रोत्साहित करतीं है,आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service