For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ प्यार तो हो गया”

मिल बैठ कर परिजनों ने बात नही की थी

पर नज़रें मिलीं थी आपसे

शहनाईयां नही बजी थी

पर तार दिलों के झनझनाए थे

दिए-बत्तिय़ों की चकाचौंध नही हुई थी

पर जज़्बातों की शम्मां रौशन हुई थी

महफिलें नहीं सजीं थी

पर दो जनों की मुलाकात थी

बाराती मिलन समारोह हुआ था

पर दो आत्माएं अक्सर मिलती थीं

नाच-गाने नही हुए थे

पर अंतर के मयूर नाचा करते थे

गठबंधन नही हुआ था

पर दो मन जुङ गए थे

विदाई भी कहां हुई थी

पर अपनों से बेगाने हो गए थे हम

कहां गुजरे रस्मों-रिवाजों से

पर जाने कब आपके हो गए

समाज हमें आपका,आपको हमारा माने ना माने

हमारी चाहतों को मुकम्मल करे ना करे

हम तो हर जनम के लिए आपके हो चुके

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

प्यार तो हो गया

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:39am

मीनू दीदी सादर प्रणाम

बहुत अच्छी पक्तियां. बधाई...
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:25pm

pyar ka bandhan hai , pyar to hona hi tha. 

समाज हमें आपका,आपको हमारा माने ना माने

हमारी चाहतों को मुकम्मल करे ना करे

हम तो हर जनम के लिए आपके हो चुके

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

 प्यार तो हो गया

snehi minu ji, sadar

naye tarike se bhavatmak rachna, badhai.

Comment by MAHIMA SHREE on April 18, 2012 at 5:49pm
मीनू दी नमस्कार ..
सच तो है भावना का कोमल बंधन है है जहाँ , वहां रस्मो की जरुरत नहीं होती ...
उच्चे भाव सुंदर प्रस्तुति...बधाई आपको
Comment by Abhinav Arun on April 17, 2012 at 1:29pm

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

प्यार तो हो गया

अच्छी काव्य रचना मीनू जी हार्दिक badhai आपको !!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 17, 2012 at 12:18pm

उम्दा प्रस्तुति मीनू जी! बधाई हो!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Dec 16

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service