सोने की चमक छोड़ के मिट्टी की तरफ हूं
बेटों से कहीं ज्यादा मैं बेटी की तरफ हूं
तुम लोग तो जालिम के तरफदार हो लेकिन
मैं आज भी इस देश में गांधी की तरफ हूं
जब साथ दिया मैंने किसी अहले सितम का
एहसास हुआ मुझको मैं गलती की तरफ हूं
आंखो को मेरी ख्वाब ना दौलत के दिखाओ
मैं भूख से बेचैन हूं रोटी की तरफ हूं
मैं डूबने दूंगा ना गरीबों का सफीना
तूफां के मुकाबिल हूं मैं मांझी की तरफ हूं
ये शहर का माहौल मुबारक हो आपको
मैं…
Added by Er Kumar Nusrat on September 13, 2017 at 11:00am — 12 Comments
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