अब न रहे वो चाँदी से दिन,सोने सी वो रातें हैं
बाबुल का वो प्यारा अंगना,सपनो की सी बातें हैं
इसी अंगने मेंभाई बहन संग ,खेल कूद कर बड़े हुए
संग संग खाना,लड़ना झगड़ना,अब बस मीठी यादें हैं
चैन न था इक पल जिनके बिन,जाने कैसे बिछुड़ गए
अब सब अपनी अपनी उलझन अलग अलग सुलझाते हैं
चाहे कितना हृदय दग्ध हो,चाहे कितना बड़ा हो संकट
हम तो बिल्कुल ठीक ठाक हैं,सदा यही दर्शाते हैं
इस दिखावटी युग में यदि हम,हृदय खोल सुख दुःख बाटें
निश्चय सरल…
ContinueAdded by Veena Gupta on March 4, 2022 at 12:30am — 2 Comments
लव यू -लव यू कहते रहो ,मिस यू -मिस यू जपते रहो
पीठ फिरे तो गो टू हैल ,नारा भी बुलंद करो
नहीं रहे वो सच्चे रिश्ते ,प्यार जहां पर पलता था
आज के रिश्ते बस एक छलावा,सबकुछ एक दिखावा है
मात-पिता का प्यार भी अब ,लगता ज़िम्मेदारी है
भाई बहन का प्यार अब बस एक नातेदारी है
रिश्तों का जहां मान नहीं ,कैसा युग ये आया है
कहते हैं वे हमें पुरातन ,पर नवयुग से क्या पाया है ?
पति-पत्नी के रिश्तों की भी ,गरिमा अब है कहाँ बची
नित होते तलाक़ों…
ContinueAdded by Veena Gupta on November 30, 2021 at 1:09am — 2 Comments
मिथ्या अगर जगत ये होता ,क्यूँ कर इसमें आते हम
देवों को भी जो दुर्लभ है ,वह मानुष जन्म क्यों पाते हम
ज्ञानी जन बस यही बताते ,मिथ्या जग के सुख दुःख सारे
पर इस जग में आ कर ही तो ,मोती ज्ञान के पाए सारे
ईश्वर की अद्भुत रचना ये सृष्टि ,नहीं जानता कोई कुछ भी
फिर भी ज्ञान सभी जन बाटें ,मानो स्रषटा हैं बस वे ही
जगत सत्य है या है मिथ्या ,क्यूंकर इसपर करें बहस
ईश्वर प्रदत्त अमूल्य जीवन को ,जिएँ सभी हम जी भरकर
उस अद्भुत कारीगर की ,रचना…
ContinueAdded by Veena Gupta on November 19, 2021 at 4:43am — 3 Comments
कहते हैं सब यही ,बस मुस्कुराते रहिए
लेकिन जनाब बड़ी शातिर होती है ये मुस्कुराहट
दिल का सुकून होती है,किसी की मुस्कुराहट
तो चैन छीन लेती दिलों का ,कोई मुस्कुराहट
प्यार का दरिया बहाती बच्चे की मासूम मुस्कुराहट
और विचलित कर जाती मन को,व्यंग भरी मुस्कुराहट
ना जाने क्यों लोग बेवजह भी मुस्कुराते हैं
ना जाने कौन सा ग़म उस हंसी में छुपाते हैं
कभी ख़ुशी से खिलखिलाते चेहरे
नमी आँखों की बन आंसू ले आते हैं
तो दोस्तों ये…
ContinueAdded by Veena Gupta on September 5, 2021 at 12:41am — 2 Comments
आंखें आंखें अद्भुत आंखें,नित नए रूप बदलती आंखें
सबकुछ कहतीं पर चुप रहतीं,नित नए रूप दिखाती आंखें
कहीं तो ज्वालामुखी हैं आँखें,कहीं झील सी गहरी आंखें
मंद मंद मुस्काती आँखें,कहीं उपहास उडा़ती आंखें
हिरनी सी चंचल ये आँखें,डरी डरी सहमी सी आंखें
लज्जा से भरी अवगुंठित आँखें,फिर टेढी चितवन वाली आंखें
कहीं प्यार बरसाती आंखें,कहीं पर सबक सिखाती आंखें
ममता भरी वो भीगी आँखें,सजदे में झुक जाती आंखें
क्रोध से लाल धधकती आँखें,मेघों सी वो बरसती…
ContinueAdded by Veena Gupta on June 29, 2021 at 6:54pm — 4 Comments
भारत की जब बात है होती,ज्योति मेरे दिल की है जलती
कितना सुंदर देश है मेरा,कितनी पावन रीति यहाँ की
घर घर मंदिर गुरुद्वारा है,सबके बीच परस्पर प्रीती
संतोष बड़ा धन है जीवन में,सिखलाती ये अपनीसंस्कृती
नहीं थोपते धर्म किसी पर,ना ज़िद कोई विश्व विजय की
खुश हैं हम अपनी धरती पर,नहीं चाहिए ज़मीं दुजे की
स्वयं जियो और जीने दो,भारत का सिद्धांत यही
विश्व संस्कृती को अपनाते,वसुधैव कुटुंबकम है येही
मौलिक/अप्रकाशित
वीणा
Added by Veena Gupta on June 24, 2021 at 9:48pm — 5 Comments
मात शारदे सुन ले विनती,ज्ञान चक्षु तू मेरे खोल
मिट जाए सब कलुष हृदय का,वाणी में अमृत तू घोल
बासंती मौसम आया है,नव-नव पल्लव रहे हैं डोल
विश्व प्रेम का अंकुर फूटे,मंत्र कोई ऐसा तू बोल
ज्ञान की मन में जगे पिपासा,दे ऐसा आशीष अमोल
विद्या धन ही सच्चा धन है,ऐसा न कोइ खजाना अनमोल
आज खड़ी झोली फैलाए,मॉं तू अपना ख़ज़ाना खोल
दो बूंदें दे ज्ञान सागर की,मॉं दे दे ये वर अनमोल
मॉं तू अपना ख़ज़ाना खोल,मात शारदे कुछ तो बोल
तेरी माँ अब…
ContinueAdded by Veena Gupta on February 13, 2021 at 1:21am — No Comments
जैसी भी हो बडी़ ख़ूबसूरत होती है ज़िन्दगी
जिन्दगी में नित नए मोती पिरोती है ज़िन्दगी
कहीं चंदा सी चमचम कहीं तारों सी झिलमिल
और कहीं सूरज सी रौशन होती है ज़िन्दगी
फूलों सी महकती कहीं, कहीं काँटों सी उलझ जाती ज़िन्दगी
कहीं नदिया की चंचल धारा,कहीं सागर सी ठहरी ज़िन्दगी
सुख दुख में अपने पराए की पहचान कराती है ज़िन्दगी
वक्त बदले तो राजा को भी रंक बनाती है ज़िन्दगी
ना जाने कैसे कैसे रंग दिखाती है ज़िन्दगी
कभी सुख कभी दुख के…
ContinueAdded by Veena Gupta on February 7, 2021 at 3:25am — 1 Comment
इक मैं थी इक मेरा साथी,सुन्दर इक संसार था
संसार नहीं था एक समंदर,बसता जहां बस प्यार था
छोटे बडे़ सभी रिश्तों की,मर्यादा यहाँ पालन होती थी
प्यार की हर नदिया का,सम्मान यहाँ पर होता था
मिलती जब कोइ नदिया समुद्र से,हर्षोल्लास बरसता था
बाहें फैला समुद्र भी अपनी,सबका स्वागत करता था
ना जाने फिर इकदिन कैसा एक बवंडर आया था
सारा समंदर सूख गया,बस मरुस्थल ही बच पाया था
आज प्रयत्न मैं कर रही,मरुभूमि में कुछ पुष्प खिलाने का
कुछ सुकूं…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 26, 2020 at 10:54pm — 2 Comments
मौन की भाषा सुनो,मौन मुखरित हो रहा है
जाने कितने शिकवे छिपे हैं,जाने कितने हैं फसाने
अपने अंतर में छुपाये,जाने कब से सह रहा है
खामोशी चारों तरफ है,अब न कोइ शोर है
कोइ नहीं है पास में अब,एकाकीपन का ये दौर है
लग रहा है फिर भी ऐसा,ज्यों गूंजता कानों में कोइ शोर है
ध्यान और एकांत ने,धीरे से फिर समझा दिया
मौन तो इक शक्ति है विश्वास है
नयी राहों पर देता ज्ञान का प्रकाश है
एकांत मौन में मिलती नयी उर्जा सदा
मौन चिंतन ही…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 18, 2020 at 3:33am — 1 Comment
जीवन की इस नदिया को,बस बहते ही जाना है
लक्ष्य यही है इसका इकदिन,सागर में मिल जाना है
चाहे जितनी बाधाएँ हों,चाहे जितने हों भटकाव
लक्ष्य प्राप्त करना ही होगा,होगा ना उसमें बदलाव
मीठे पानी की नदिया इकदिन,खारा सागर बन जायेगी
इसी तरह ये जीवन नदिया इकदिन,अमर आत्मा बन जायेगी
पर जाने से पहले जीवन में,कुछ ऐसे मीठे काम करो
नदिया जैसे सब याद करें,आत्मा अमर हो जाने दो
मौलिक /अप्रकाशित
वीणा
Added by Veena Gupta on December 18, 2020 at 3:00am — 3 Comments
बड़ी तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की,मुट्ठी से फिसलती चली जा रही है
उम्र की इस दहलीज़ पर जैसे,ठिठक सी गयी है,सिमट सी गयी है
बीते हुए पुराने मौसम याद आ रहे हैं,हासिल क्या किया तूने समझा रहे हैं
ऐ ज़िन्दगी तू ज़रा तो ठहर जा,जीने की कोई राह बता जा
बचे जो पल हैं चंद ज़िन्दगी के,कैसे संवारूँ ज़रा तू बता जा
जिन्दगी ने कहा कुछ यूँ मुस्कुरा कर,प्यार ख़ुद से तू कर ले दुनिया भुला कर
परमात्मा से लौ तू लगा ले,जीवन का सच्चा आनन्द पा ले
स्वर्णिम ये पल मत…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 2, 2020 at 2:37am — 2 Comments
आइना हूं मैं तो बस ज़िन्दगी का,कहते हो तुम बुढ़ापा जिसे
जिन्दगी के सफ़र में जो भी खोया या पाया,पलटकर देखो नज़र भर उसे
ज़िन्दगी से सदा तूने सदा ये ही शिकवे किये,ए ज़िंदगी तूने सदा दुख है दिये
सच ये नहीं छुपेगा आइने से बिखरी थीं ख़ुशियाँ,तेरी ज़िन्दगी में
ग़मों को सदा तूने गले से लगाया,ख़ुशियों के पल क्यों ना याद किये
आइने में देखोगे जो ख़ुशियों के वो पल,ग़मों में भी फिर जल उठेंगे दिये
जीवन जीने की कला आप कहते हैं जिसे
उम्र का ये दौर ही है…
ContinueAdded by Veena Gupta on November 28, 2020 at 9:09am — 3 Comments
पूर्णता का जो है प्रतीक ,वह तो बस एक शून्य है
शून्य है जीवन का सत्य ,शून्य ही सम्पूर्ण है
जिस बिंदु से आरम्भ होता ,होता वहीं वह पूर्ण है
आरम्भ जीवन का शून्य से और अंत भी बस शून्य है
शून्य में जोड़ दो ,चाहे जितने शून्य तुम
या निकालो शून्य में से चाहे जितने शून्य तुम
शून्य फिर भी शून्य…
ContinueAdded by Veena Gupta on November 20, 2020 at 3:20am — 6 Comments
दीपोत्सव हम मना रहे
जगमग जग ये हो सारा
ज्ञान का ऐसा दीप जलायें
अज्ञान दूर हो जग से सारा
सौहार्द प्रेम का हो प्रसार
वसुधैव कुटुम्बकम का सच हो नारा
दीपक ऐसा एक जलायें
फैले प्रेम का उजियारा
(मौलिक/अप्रकाशित)
Added by Veena Gupta on November 14, 2020 at 2:00am — 4 Comments
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