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K K Dwivedi's Blog (2)

ईनसान के रूप

ईन्सान के रूप

है एक रूप पर कितने अलग, ईनसान जगत में होते हैं

कुछ जीने ना दें अपनों को, अपनों के लिये कुछ जीते हैं

बस सोचते किसने कितना दिया, अन्याय किया या न्याय किया

ऐसे ही उलझी बातों में कुछ व्यर्थ लगाते गोते हैं

 

कुछ संतोषि और तृप्त सदा, कुछ लाभ लोभ में लिप्त सदा

ज्यादा पाने की लालच में जो पास है अपने खोते हैं

 

अपनी मस्ती में जीते कुछ, नहीं कोई शिकायत दुनिया से

हर पल वो मौज मनाते हैं, खाते पीते और सोते…

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Added by K K Dwivedi on July 14, 2015 at 10:30am — 1 Comment

दिन बड़े ख़ुशहाल रातें भी सुहानी हो गई (ग़ज़ल)

२१२२-२१२२-२१२२-२१२



आपका आना हमारी ज़िन्दगी में यूँ हुआ

दिन बड़े ख़ुशहाल रातें भी सुहानी हो गई



जो सुनी थी या पढ़ी हमने किताबों में फ़क़त

आज बातें वो सभी मेरी कहानी हो गई



चाहतें कोई नहीं , बन्धन न था कोई यहाँ

आपकी मेरी ये' यारी बस रुहानी हो गई



आज दुनिया कर रही अपनी वफ़ाओं काे बयाँ

देखकर मेरी वफ़ा देखो सयानी हो गई



इस क़दर था पुर असर उनका वो* अन्दाज़े बयाँ

सुन कहानी कान्त ये दुनिया दिवानी हो गई ।।

.

मौलिक…

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Added by K K Dwivedi on July 12, 2015 at 10:00am — 6 Comments

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