For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन बड़े ख़ुशहाल रातें भी सुहानी हो गई (ग़ज़ल)

२१२२-२१२२-२१२२-२१२

आपका आना हमारी ज़िन्दगी में यूँ हुआ
दिन बड़े ख़ुशहाल रातें भी सुहानी हो गई

जो सुनी थी या पढ़ी हमने किताबों में फ़क़त
आज बातें वो सभी मेरी कहानी हो गई

चाहतें कोई नहीं , बन्धन न था कोई यहाँ
आपकी मेरी ये' यारी बस रुहानी हो गई

आज दुनिया कर रही अपनी वफ़ाओं काे बयाँ
देखकर मेरी वफ़ा देखो सयानी हो गई

इस क़दर था पुर असर उनका वो* अन्दाज़े बयाँ
सुन कहानी कान्त ये दुनिया दिवानी हो गई ।।
.
मौलिक ऐवं अप्रकाशित

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by K K Dwivedi on July 14, 2015 at 10:20am
आप सभी मित्रों का ह्रदय पूर्वक आभार सर्व श्री नरेन्द्र चौहानजी, गुमनाम पिथौरागढी जी एवं डाॅ गोपालनारायण श्रीवास्तव जी ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 14, 2015 at 9:28am

बढ़िया  गजल हुयी है .

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 13, 2015 at 9:48pm

वाह बहुत खूब सर जी वाह ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by narendrasinh chauhan on July 13, 2015 at 1:48pm

खूब सूरत गज़ल

Comment by K K Dwivedi on July 13, 2015 at 9:53am
आपका हार्दिक आभार परम आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 8:49am

आदरणीय  के के द्विवेदी भाई , बहुत खूब सूरत गज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ गज़ल के लिये ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service