2122 1122 1122 22 (112)
लोग मिलते नहीं रिश्तो को निभाने वाले
बीच मँझधार में कश्ती को बचाने वाले ||१||
कौन कीमत समझते हैं किसी की खुशियों की
लोग मिलते हैं यहाँ ख्वाब चुराने वाले ||२||
जानते हैं मगर इस दिल को कैसे समझायें
लौट के आते नहीं छोड़ के जाने वाले ||३||
आँख में हो अना बाक़ी यही तो दौलत है
हाँ मगर देखे हैं कागज को कमाने वाले ||४||
ज़िन्दगी भर हमे रखते रहे अंधेरों मे॥
रोज तुरबत पे आके शमआ जलाने वाले॥…
Added by Rama Verma on March 18, 2016 at 4:00pm — 7 Comments
22 22 22 22
खंजर या तलवार नहीं हूँ
मैं घातक हथियार नहीं हूँ
अपनी शर्तों पर जीती हूँ
क्यूँ कहते खुद्दार नहीं हूँ
मैं नदिया की शीतल धारा
जलता सा अंगार नहीं हूँ
ईश्वर की अनमोल कृति हूँ
औरत हूँ लाचार नहीं हूँ
उज्जवल रश्मि हूँ सूरज की
रातों का अंधियार नहीं हूँ
स्वाभिमान मुझे है प्यारा
मैं दुनिया में भार नहीं हूँ
मुझसे ही परिवार है…
ContinueAdded by Rama Verma on March 15, 2016 at 5:30pm — 11 Comments
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