For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाहर के डर से लड़ लेंगे भीतर का डर कैसे भागे |(७३ )

 एक गीत
-----------
बाहर के डर से लड़ लेंगे
भीतर का डर कैसे भागे |
**
बचपन से देखा है हमने
अक्सर खूब डराया जाता |
दुःख यही है अपनों द्वारा
ऐसा क़दम उठाया जाता |
छोटी छोटी गलती पर भी
बंद किया जाता कमरे में,
फिर शाला में अध्यापक का
डण्डा हमें दिखाया जाता |
एक बात है समता का यह
लागू रहता नियम सभी पर,
निर्धन या धनवान सभी के
बच्चे रहते सदा अभागे |
**
बाहर के डर से लड़ लेंगे
भीतर का डर कैसे भागे |
**
डर की यह बुनियाद सभी के
बचपन में ही पड़ जाती है |
जैसे कील नुकीली कोई
गहराई तक गड़ जाती है |
और यही डर धीरे धीरे
जीवन का बनता है हिस्सा,
और धर्म के आडम्बर में
सोच अभय की सड़ जाती है |
जीवन की आपाधापी में
भार दवाबों का इतना है,
पता नहीं है आगत में कब
निद्रा से नूतन डर जागे |
**
बाहर के डर से लड़ लेंगे
भीतर का डर कैसे भागे |
**
हम सब ही जीवन में डर का
नित सम्मान किया करते हैं |
अंध भक्त हों बाबाओं का
क्यों गुणगान किया करते हैं |
कारण है जितने भी बाबा
दिखलाते हैं डर ईश्वर का,
लाभ उठा इस भय का खुद को
वे धनवान किया करते हैं |
जितने धूर्त गुरू होते हैं
जीवन में अक़्सर देखा है
उनकी सोच सदा रहती है
लोगों की सोचों से आगे |
**
बाहर के डर से लड़ लेंगे
भीतर का डर कैसे भागे |
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 397

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 25, 2020 at 10:55am

आपने रचना को सराहा। आपके स्नेह के लिए अंतस्थल से आभारी हूँ। सादर नमन आदरणीय  Samar kabeer  साहेब | 

Comment by Samar kabeer on March 24, 2020 at 6:24pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 21, 2020 at 10:44pm

आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहेब , आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 21, 2020 at 6:40pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' साहिब, बहुत ख़ूब! आम इंसान के अंदर के डर की बुनियाद को मनोवैज्ञानिक स्तर पर ब-ख़ूबी बयान किया है आपने इस बा-कमाल रचना में। आपको हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
34 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service