For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।

2122 1212 22

आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।

**

रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।

**

सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।

**

यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।

**

धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।

**

सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा है।

*************************

मौलिक व अप्रकाशित

*************************

Views: 1339

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 8, 2021 at 6:05pm

 //  सुबह को मैंने जान बूझकर 12 को वज्न पर रक्खा है//

ऐसा क्यों ?


Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 7, 2021 at 11:53pm

शुक्रिया आ. नाथ सोनांचली जी। बिल्कुल।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 7, 2021 at 11:51pm

आ. रचना जी आपका बेहद आभार सुखन नवाजी के लिए।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 7, 2021 at 11:50pm

आ. समर सर हौसलाफजाई के लिए बेहद शुक्रिया। जी सर वहां "" हों """ ही होना चाहिए सुधार कर रहा हूँ। सुबह को मैंने जान बूझकर 12 को वज्न पर रक्खा है आदरणीय।

Comment by नाथ सोनांचली on March 7, 2021 at 8:20pm

आद0 जान गोरखपुरी जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। उस्ताद समर साहिब की बातों का संज्ञान लीजियेगा।बधाई निवेदित करता हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on March 2, 2021 at 7:06pm

आदरणीय कृष मिश्रा जी नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई वाह वाह वाह।

Comment by Samar kabeer on March 2, 2021 at 6:57pm

जनाब जान गोरखपुरी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

नाब जान गोरखपुरी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हो गोया'

इस मिसरे में 'हो' को "हों" कर लें ।

'पढ़ रहा हूँ सुबह से मैं उसको'

इस मिसरे में सहीह शब्द "सुब्ह" है और इसका वज़्न 21 होता है,मिसरा यूँ कर सकते हैं:-

'सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service