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तराना- अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो

प्राणों का कर गये जो  परिदान याद कर लो

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

आज़ादी का ये दिन है  ख़ुशियाँ रहें मुबारक 

मर कर भी दे गये जो  ज़िंदगी तुम्हें मुबारक 

सरहद पे  रंग भरते  वो जवान याद कर लो 

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

अक्सर घिरे रहे जो  बे-हिसाब  मुश्किलों में 

होकर शहीद  भी वो  ज़िन्दा  हैं धड़कनों में 

उन सच्चे सैनिकों का प्रतिदान याद कर लो 

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

आने का कह  गये थे  वादा  भी कर  गये थे  

पहले  कभी  तो ऐसे  वो न यूँ  मुकर गये थे 

लौटे न फिर कभी जो वो जवान याद करलो 

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

माता पिता के दिल में  काँटा चुभा हुआ था 

आया  मैं  गाँव में जब  मेला लगा  हुआ था 

था वो  तिरंगा  मेरा  परिधान  याद  कर  लो 

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

गौरव  बढ़ाना  चाहो  परिवार  का  सदा तुम 

हक़ मात्रभूमि का भी करना कभी अदा तुम

कुछ ऐसी भावना से  मेरी जान याद कर लो 

अपने शहीदों का तुम बलिदान याद कर लो 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

(स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2021 के अवसर पर विशेष) 

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Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 27, 2021 at 12:16am

जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी सुखद उपस्थिति, सम्मान और रचना को पसन्द करने के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ।  सादर। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 26, 2021 at 8:22pm

देशप्रेम से ओतप्रोत रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय....

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