For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा
वो चेहरा पुरवाई जैसा.
.
तेरा होना क्यूँ लगता है
गर्मी में अमराई जैसा.
.
तेरे प्यार में तर होने दे
मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा.
.
जोबन आया है, फिसलोगे
ये रस्ता है काई जैसा.
.
साथ हैं हम बस कहने भर को
दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.  
.
जाते जाते उस का बोसा
जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.
.
ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी  
और ये दिल बलवाई जैसा.
.
तेरा आना पल दो पल को
सरकारी भरपाई जैसा. 
.
धागे ज़ख़्मों के उधड़े हैं
कर दो कुछ तुरपाई जैसा.
.
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 193

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 27, 2025 at 4:44pm

स्वागत है आ. रवि जी 

Comment by Ravi Shukla on May 27, 2025 at 1:38pm

आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 15, 2025 at 4:53pm

धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. 
//हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य   मुझे कुछ असहज उपमा लगी । //
सर! थोडा वक़्त मेरे जैसे बदचलन के साथ बिताइए..आपको भी चेहरों में पुरवाई का आभास होने लगेगा 😂😂😂
आभार 

Comment by Ravi Shukla on May 15, 2025 at 4:04pm

वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य   मुझे कुछ असहज उपमा लगी । 

जाते जाते उस का बोसा
जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.
.
ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी  
और ये दिल बलवाई जैसा.

ये दोनो शेर ब तौरे  ख़ास पसदं आये ज़हन एस पी और दिल बलवाई क्या कहने नयी सोच नया ख़याल बहुत खुब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 15, 2025 at 2:13pm

धन्यवाद आ. अजय जी 

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on May 15, 2025 at 12:07pm

बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर।

मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर शेर ने रवानी दी है। सौरभ जी के सुझाव दुरुस्त लगे।

दूध-मलाई वाले शेर पर काफ़ी चर्चा हो चुकी है। और मेरा भी यही विचार है कि आप उसे बोलते समय बेशक़ निभा रहें होंगें पर पढ़ते हुए वो बहुत अटक पैदा कर रहा है। और कुल मिला कर ये शेर कुछ परिवर्तन माँग रहा है। और वो कर भी लेंगें।

एक बार फिर से बहुत बहुत बधाई इस शानदार सृजन के लिए।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2025 at 1:49pm

आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब 
जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..
दूध और मलाई की तुलना गोष्ट और नाख़ुन से नहीं हो सकती.. मटेरियल बेस अलग है ..
आप ने कह दिया, मैंने स्पष्टीकरण दे दिया .. अब जिसे जैसा सोचना है ..स्वतंत्र है 
सादर 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 9, 2025 at 7:33am

//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है//

मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे गोश्त से नाख़ुन। हाँ मगर दोनों को अलग किया जा सकता है, जबकि क़ुदरती तौर पर तो आपस में जुड़े ही होते हैं, :-)) ...सादर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 8, 2025 at 11:00am

धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.
दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 8, 2025 at 10:59am

धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service