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(1)

कई दिनों से 

सफ़ेद चादर के फंदे ने 

गला घोंट रखा था 

आज धूप से गले  मिलकर 

खुल के रोये चिनार

(2)

हाथी दांत की चूड़ियाँ

बाजार में देखी तो ख़याल आया 

कि कहीं कल इंसान 

की अस्थियों के लाकेट

तो नहीं आ जायेंगे बाजार में

(3) 

तेरी इस ग़ज़ल के कुछ शब्दों से 

लहू रिस रहा है 

लगता है कहीं से बहुत बड़ी 

चोट खाकर आये हैं 

तभी तो दर्द से बरखे 

यूँ फडफडा रहे हैं 

(4)

आज मेरी छाँव में बैठ लो दोस्तों 

कल तो टुकड़े- टुकड़े  होकर 

किसी शहर चला जाऊँगा 

ढूँढना हो तो ढूँढ लेना

किसी के स्वागत कक्ष में 

तुमको गोदी में बड़े प्यार से बिठाऊंगा 

*****

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2012 at 8:34am

अशोक कुमार रकतेला जी  आपको मेरे ख़याल पसंद आये हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:20am

राजेश कुमारी जी
            सादर,
                     हाथी दांत की चूड़ियाँ
            बाजार में देखी तो ख़याल आया
            कि कहीं कल इंसान
            की अस्थियों के लाकेट
            तो नहीं आ जायेंगे बाजार में
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं, बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 11:53am

संदीप कुमार जी सराहना के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 11:43am

अविनाश  बागडे जी  आपकी बहुत आभारी   हूँ कि मेरे ख़याल पसंद आये |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 11:27am

behad khoobsoorti ke saath likhi hain ye kshanikaayen

umda rachna ke liye aapko badhai rajesh kumari ji

Comment by AVINASH S BAGDE on May 17, 2012 at 11:09am

हाथी दांत की चूड़ियाँ

बाजार में देखी तो ख़याल आया 

कि कहीं कल इंसान 

की अस्थियों के लाकेट

तो नहीं आ जायेंगे बाजार में...bahut umda Rajesh kumari mam.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 15, 2012 at 8:53pm

बहुत बहुत हार्दिक आभार राज  बाजपेई जी 

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 15, 2012 at 8:48pm

आज मेरी छाँव में बैठ लो दोस्तों 

कल तो टुकड़े- टुकड़े  होकर 

किसी शहर चला जाऊँगा........ Bahut khoob Mohatarma....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 15, 2012 at 9:13am

गणेश बागी जी हार्दिक आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2012 at 9:04am

सभी क्षणिकाएं अच्छी बन पड़ी है, हाथी दांत की चूड़ियाँ विशेष आकर्षित करती है, बहुत बहुत बधाई आदरणीया |

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