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यहाँ सभी की आँख सजल है बाबाजी


जिधर देखिये, जल ही जल है बाबाजी
यहाँ सभी  की आँख सजल है बाबाजी



लोग जिसे गंगाजल कह कर  पीते हैं
वह   गंगा  का  अश्रुजल  है  बाबाजी



एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी



भड़क गया मैं देख के उसके दस बच्चे
वो बोला, मालिक का फज़ल है बाबाजी



गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी 



तुम कसाब  को लेकर ही गुस्साये हो
यहाँ अभी ज़िन्दा अफजल है बाबाजी



कई विधाएं  हैं  'अलबेला' कविता  की
किन्तु जग विख्यात ग़ज़ल है बाबाजी



JAI HIND !


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Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:15pm

आदरणीय अरुण कान्त शुक्ल जी,
बहुत बहुत  धन्यवाद  .   आपकी  सराहना सर आँखों पर.......इस स्नेह  के लिए  आभारी हूँ
सादर 

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 1:13pm

आदरणीय अरुण श्रीवास्तव जी,
बहुत बहुत  धन्यवाद  और हार्दिक आभार  आपकी इस बेबाक सराहना  के लिए
सादर 

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 11:51am

गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी ............. सब टी वी का असर है बाबा जी !

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी . .ज़माने गए १५ रूपए में डीज़ल के ! अब तो खून से भी महंगा है

या बाबा जी तो मिसाइल बनते जा रहें हैं !
 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 11, 2012 at 9:01pm

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी.. मैंने कहा न मैं आपका पंखा हूँ . बधाई

Comment by Albela Khatri on June 9, 2012 at 3:41pm

धन्यवाद राजेश कुमारी जी,
बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 9, 2012 at 1:21pm

bahut sundar kataksh karti ghazal

एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल  है  इसमें  या  डीज़ल है बाबाजी......ghajab ka sher..vaah

Comment by Albela Khatri on June 9, 2012 at 9:19am

धन्यवाद नीलांश जी
आपकी सराहना  सर आँखों पर

Comment by Nilansh on June 9, 2012 at 9:13am

bahut hi sunder ghazal hai albela ji

saarthak lekhan ke liye bahut badhaai

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 11:11pm

आपका बहुत बहुत  धन्यवाद  महिमा श्री जी........
सराहना  के प्रति आभार

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 11:03pm

भड़क गया मैं देख के उसके दस बच्चे
वो बोला, मालिक का फज़ल है बाबाजी



गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी 

तुम कसाब  को लेकर ही गुस्साये हो
यहाँ अभी ज़िन्दा अफजल है बाबाजी

वाह वाह आदरणीय अलबेला जी क्या कहने .. व्यंग भी .. चिंता भी  और हास्य भी .. कमाल .. बहुत -२ बधाई आपको



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