For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलिदानों का क्या फल पाया बाबाजी

हाय ! ये कैसा मौसम आया बाबाजी
देख के मेरा मन घबराया बाबाजी

पूरब में तो बाढ़ का तांडव मार रहा
उत्तर में है सूखा छाया बाबाजी

भीषण गर्मी के झुलसाये लोगों को
मानसून ने भी तरसाया बाबाजी

चिदम्बरम को देख के ऐसा लगता है
लुंगी में कीड़ा घुस आया बाबाजी

लोकराज में जनता का दिल घायल है
बलिदानों का क्या फल पाया बाबाजी

इन्टरनेट पे प्यार का ये परिणाम मिला
युवक ने अपना प्राण गंवाया बाबाजी

ये कैसा जीवन है, जिसमे चैन नहीं
'अलबेला' को रास न आया बाबाजी


__अलबेला खत्री

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:56pm

धन्यवाद रेखा जी......
आपके प्रशंसा-पत्र से थोड़ा  सा चैन तो मिला ...........हा हा हा
__विनम्र आभार !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:53pm

यह सच है  आदरणीय सीमा जी कि  मेरी बातचीत भी आमतौर पर ऐसी ही होती है  रसपूर्ण और लयबद्ध, परन्तु आपने  यह भांप लिया तो  आपकी मेधा  के समक्ष नत होना ही  पड़ेगा

__आपकी स्नेहिल और ऊर्जस्वित टिप्पणी ने  बहुत सुकून बख्शा है

___आपका आभार !

Comment by Rekha Joshi on July 12, 2012 at 1:52pm

अलबेला जी 

ये कैसा जीवन है, जिसमे चैन नहीं 
'अलबेला' को रास न आया बाबाजी ,सत्य है बाबा जी कहीं तो चैन मिले ,अलबेली रचना पर बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:32pm

सम्मान्य अरुण जी...
हो सकता है  मैं यों तो न भी लिखता परन्तु अब तो गली के पत्थर पर भी लिखनी ही पड़ेगी एक ग़ज़ल ताकि  उसका भी अहिल्योद्धार हो जाये....हा हा हा
__बहरहाल आपकी सराहना ने बैटरी चार्ज कर दी...........आभार !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:27pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.........
रचना आपको पसन्द आई......मेरा मन गदगद हो गया
आपकी स्नेहिल टिप्पणी ने निहाल कर दिया
________आभार !

Comment by Arun Sri on July 12, 2012 at 1:26pm

चिदम्बरम को देख के ऐसा लगता है
लुंगी में कीड़ा घुस आया बाबाजी  ............ क्या कहने बाबा जी के एक बार फिर ! आप तो गली में पड़े पत्थर पर भी गज़ल लिख दें ! इसे कहते है कवि की नज़र और लुंगी में कीड़ा ! हा हा हा हा !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:25pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका अरुण शर्मा अनंत जी...
आभार

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:23pm

आपका कोटि कोटि धन्यवाद संदीप जी.......
आते रहिये....
मिलते रहिये........

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:22pm


बाबाजी की ओर से सबसे पहले तो
आपके आने का शुक्रिया
फिर बांचने का शुक्रिया
फिर पसन्द करने का शुक्रिया
फिर टिप्पणी करने का शुक्रिया
सबसे  ख़ास प्रोत्साहन देने का शुक्रिया ...........

___धन्यवाद राजेश कुमारी जी.........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 12:55pm

ग़ज़ल पढनी शुरू की तो अचम्भा हुआ अलबेला और इतनी सीरियस गंभीर ग़ज़ल चौथे शेर पर आते ही पता चला हाँ ये अलबेला की ही ग़ज़ल हो सकती है गंभीर ग़ज़ल में भी चिदंबरम का कीड़ा घुसा दिया आदत से बाज नहीं आओगे बाबा जी ....बहरहाल मुद्दे की बात करते हैं बहुत बहुत कमाल की ग़ज़ल लिखी है बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service