For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

,,,,,,,,,ख़ुदा जानॆं ,,,,,,,,
=================
क्या था कल क्या आज है, ख़ुदा जाने !!
छुपा दिल मॆं  क्या राज़ है, ख़ुदा जाने !!१!!

हलचल बहुत है,संसद की गलियॊं मॆं,
किस खेल का आगाज़ है, ख़ुदा जाने !!२!!

बॆटॆ नॆं लूटीं अस्मतॆं,खुद नॆं मुल्क लूटा,
फ़िर भी क्या उसकॊ नाज़ है,खुदा जानॆ !!३!!

डर है इस बात का,कफ़स मॆं कबूतर है,
उसकी रखवाली मॆं बाज है,ख़ुदा जाने !!४!!

चुन चुन कॆ सभी नॆं, भॆजा है जिसकॊ,
बन कॆ गिरा वही गाज़ है, ख़ुदा जानॆ !!५!!

ज़िंदा-दिली रास, आती नहीं उसकॊ,
वॊ कम-जर्फ़ मिज़ाज है, ख़ुदा जानॆ !!६!!

हमॆं अपनॆ हाल पॆ,रहनॆ दॊ नॆता जी,
हमारॆ जीनॆ  का अंदाज़ है,ख़ुदा जानॆ !!७!!

इक ख़ता की लाखॊं मुआफ़ी मांगीं,
बॆग़म फिर भी नाराज़ है,ख़ुदा जानॆ !!८!!

खटास आनॆ लगी है, अब दोस्ती मॆं ,
बांधॆ कौन सा लिहाज़ है,ख़ुदा जानॆ !!९!!

अज़ब दस्तूर है,भाई सियासत का,

बहरॆ-गूँगॆ कॆ सर ताज़ है,ख़ुदा जानॆ !!१०!!

 दीवार मॆं चुनवा दॊ, मगर बॊलॆगी,
यॆ "राज" की आवाज़ है, ख़ुदा जानॆ !!११!!

    कवि-राज बुन्देली
    ०६/१२/२०१२

Views: 347

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लतीफ़ ख़ान on December 7, 2012 at 8:30pm

मान्यवर ,, पुष्यमित्र एवं राज बुन्देली साहब ,, उम्दा ख्यालात से सजी आप दोनों की रचनाओं की मैं कदर करता हूँ ,,बधाई ,, लेकिन ग़ज़ल लिखने से पहले उसके शिल्प को जानना भी अति आवश्यक है कृपया किसी एक बहर को लेकर उसके वज़न के हिसाब से ग़ज़ल लिखी जाए तो बेहतर होगा ,,,आप काफ़िये पर भी ध्यान दीजिये ,,, मसलन,,,पायें, आजमायें , सताएं के साथ निगाहें का प्रयोग ठीक नहीं, वैसे ही ,,,राज़ , आगाज़ , नाज़ , आवाज़ के साथ आज और ताज का इस्तेमाल ठीक नहीं लगता ,,, उम्मीद है ग़ज़ल में इन चीज़ों का ख्याल रखेंगे ...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 12:11pm
सुन्दर सामयिक रचना बढ़ी राज बुन्देली जी-
 
नेता के मन में क्या राज छुपा है खुदा जाने 
उसके बगल में छुरी सी कौन है खुदा जाने । 
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 11:30am

वाह राज साहब क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है आज की बारीकियों को बयां करने का अंदाज बेहद उम्दा है आपका बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आ. समर सर,मिसरा बदल रहा हूँ ..इसे यूँ पढ़ें .तो राह-ए-रिहाई भी क्यूँ हू-ब-हू हो "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. समर सर...ठीक कहा आपने .. हिन्दी शब्द की मात्राएँ गिनने में अक्सर चूक जाता…"
9 hours ago
Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service