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ट्राई करॊ,,,,,,,,,,,,
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शायद मिल ही जायॆ, लाइन ट्राई करॊ ॥
कभी कर दॆगी दिलपॆ, साइन ट्राई करॊ ॥१॥

मॊबाइल नंबर शायद, पहचानती हॊ वॊ,
पी.सी.ऒ. सॆ डालकॆ, क्वाइन ट्राई करॊ ॥२॥

हॆलॊ हाय बॊलॆ ग़र, बनॆगी बात वरना,
बर्थ-डॆ पार्टी मॆं हॊकॆ, ज्वाइन ट्राई करॊ ॥३॥

मॆहनत का फल भी, मिलॆगा यकीनन,
फ़्रॆन्डसिप,रॊज़ डॆ, वॆलॆन्टाइन ट्राई करॊ ॥४॥

ग़र प्यार मॆं हॊ गई, बद-हज़मी तुम्हॆं,
काला नमक और, अजवाइन ट्राई करॊ ॥५॥

प्यार कॆ चक्कर मॆं, हिलनॆं लगॆ मियाँ,
दवाखाना मॆं जाकर, सलाइन ट्राई करॊ ॥६॥

उसॆ भूल जानॆ मॆं ही, भलाई है दॊस्त,
नहीं भूलती अग़र तॊ, वाइन ट्राई करॊ ॥७॥

झटकॆ मॆं मरना या, घुट घुट कॆ मरना,
आइडिया जॊ भी लगॆ, फाइन ट्राई करॊ ॥८॥

फॆल हॊ जायॆं फ़ार्मूलॆ,जॊ सभी कॆ सभी,
फ़ार्मूला नम्बर नाइन्टी, नाइन ट्राई करॊ ॥९॥

ख्वाहिशॊं कॊ रिचार्ज, करतॆ रहॊ "राज"
सिग्नल न मिलॆ दूसरी,लाइन ट्राई करॊ ॥१०॥

कवि - "राज बुन्दॆली"

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Comment

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 25, 2012 at 7:26pm

Ashok Kumar Raktale जी बहुत बहुत धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,आभार आपका,,,,,,,,,,,,,

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 24, 2012 at 9:02pm

आदरणीय राज बुन्देली जी सादर, बहुत सुन्दर नुस्खे बधाई स्वीकारें.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 18, 2012 at 3:08pm

SUMAN MISHRA जीबहुत बहुत धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,आभार आपका,,,,,,,,,,,,,

Comment by SUMAN MISHRA on December 18, 2012 at 11:15am

क्या बात है..आपकी कविता का नया रुख...बहुत सुंदर,,,,राज जी,....यहाँ का रुख और आपके शब्द,,,,सोने में सुहागा

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