For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंदार माला सवैया :-
=================
राजा वही जॊ प्रजा कॊ दुखी दीन, संताप हॊनॆ न दॆता कभी !!
बाजी लगा दॆ सदा जान की आन,ईमान खॊनॆ न दॆता कभी !!
आनॆ लगॆं आँधियाँ राज मॆं आँख,आँसू भिगॊनॆ न दॆता कभी !!
खाता कभी घास की रॊटियाँ और, औलाद रॊनॆ न दॆता कभी !!


=======================================

Views: 918

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 18, 2012 at 3:49am

Ashok Kumar Raktale जी आदरणीय,,,,जरूर,,,,,,,बहुत बहुत आभारी हूं आपका एवं समस्त ओ.बी.ओ.परिवार का,,,,,,,,,,धन्यवाद,

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 10:30pm

आदरणीय राज जी

                      सादर, मंदारमाला सवैया पर सार्थक प्रयास हुआ है. बधाई स्वीकारें.सवैया पर आद. सौरभ जी कि टिपण्णी से भी बहुत कुछ सिखने मिला है.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 10:25pm

Saurabh Pandey जी आदरणीय,,,,जरूर,,,,,,,बहुत बहुत आभारी हूं आपका एवं समस्त ओ.बी.ओ.परिवार का,,,,,,,,,,धन्यवाद,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 8:56pm

बुन्देली साहब, आपकी कतिपय सवैया-रचनाएँ देखने का संयोग हुआ है. फिर भी, ऐसी छंदबद्ध रचनाएँ आप द्वारा प्रथम प्रयास हैं तो आपका छंदबद्ध रचनाओं के कक्ष में सादर स्वागत है. भाई साहब, आपको मालूम ही होगा कि ओबीओ के मंच पर भारतीय छंद विधान ग्रुप के अंतर्गत सवैया के कतिपय अति प्रचलित प्रारूपों पर लेखमाला प्रस्तुत हो रही है. आप उन प्रारूपों के साझा हुए विधानों के अनुरूप अभ्यास करें तो आपको सुविधा भी होगी और लेखमाला की प्रासंगिकता भी बनी रहेगी. दूसरे, उन लेखमालाओं पर सटीक फ़ीडबैक भी मिलता चलेगा कि क्या उन आलेखों में कुछ सुधार की गुंजाइश भी है. यह मेरा सुझाव भर है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 8:38pm

Saurabh Pandey ,,,,,,,,,,,,,,आदरणीय,,,,,आपको प्रणाम करता हूं,,ये छन्द बद्ध मे मेरा प्रथम प्रयास था,,,इससे पहले मैने दोहे के अलावा छन्द बद्ध मे कुछ नही लिखा,,,,आपके बताये अनुसार प्रयास करूगा शायद सीख जाऊं,,,,,,,,,,,,आप सब के आशीर्वाद से,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 8:35pm

rajesh kumari  जी,,,बहुत बहुत आभार आपका,,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 7:44pm

मंदारमाला के शिल्प पर उचित प्रयास हुआ है, बुन्देली साहब. लेकिन यति के आग्रह को संतुष्ट करने के क्रम में पदों में अव्यवहारिकता आने दी जाय, यह प्रश्न भी उचित ही है. आप छंद के पदों को पढें, तो देखिये क्या ऐसा नहीं लगता कि पद बीच में ही रुक गये हैं और यति के बाद उसी पद में नया भाव-वाक्य प्रारम्भ हो रहा है ? शिल्प पर कसावट के साथ कहन की सटीक संप्रेषणीयता भी उतनी ही आवश्यक है.

बाकी सुधी पाठकों के साथ-साथ मैं भी आपके प्रयास को दाद देता हूँ.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 6, 2012 at 7:34pm

हर सवैया पर आपका प्रयास बहुत प्रेरणास्पद है राज बुन्देली जी बहुत अच्छा लिखा बधाई आपको 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 2:33pm

अरुन शर्मा "अनन्त"  जी दिल की गहराइयॊं से आभार आपका,,,,,,,,,,,,,,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:50am

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service