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मत्तगयंद सवैया :-
===============
आज हुयॆ मतदान सभी चुनि, बैठ गयॆ चढ़ि आसन चॊटी,
भारत कॆ यह राज-मणी सब, फ़ॆंक रहॆ अब  खॊटम खॊटी,
नागिन सी  फ़ुँफ़कार भरॆं सब, छीनत हैं जनता कइ रॊटी,
आय गयॆ पुनि भारत मॆं तब, नाहि बचैं लकुटी व लँगॊटी,
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Comment

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 18, 2012 at 3:50am

Ashok Kumar Raktale जी ,,,आपको एवं आपके रचना स्नेह दोनो को नमन,,,,,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 10:23pm

सुन्दर व्यंग प्रस्तुत करते मत्तगयन्द सवैया पर सादर  बधाई स्वीकारें आद. राज जी.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 2:32pm

अरुन शर्मा "अनन्त"  जी ,,,आपको एवं आपके रचना स्नेह दोनो को नमन,,,,,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:51am

अत्यंत सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 2:08am

वीनस केसरी जी ,,,आपको एवं आपके रचना स्नेह दोनो को नमन,,,,,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,

Comment by वीनस केसरी on December 6, 2012 at 12:50am

आय गयॆ पुनि भारत मॆं तब, नाहि बचैं लकुटी व लँगॊटी,

हा हा हा
सत्य वचन
सुन्दर रचना
सहज अभिव्यक्ति

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 5, 2012 at 2:26pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 5, 2012 at 2:24pm

आदरणीया,,,,,,,,,,,,rajesh kumari जी ,,,आपको एवं आपके रचना स्नेह दोनो को नमन,,,,,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,

Comment by रविकर on December 5, 2012 at 11:51am

बहुत बढ़िया सवैया||

आदरणीय राज बुन्देली जी -
बधाइयां ||


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 5, 2012 at 11:49am

वाह राज बुन्देली जी मत्तगयन्द विधा में कितना सुन्दर समसामयिक छंद रच डाला वाह बहुत प्रेरणास्पद 

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