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सौरभ भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका अभार ! आपकी सलाह ध्यान रखूंगा , सलाह के लिये धन्यवाद भाई जी !!
बहुत साझा करती इस कविता के लिए हृदय से बधाई आदरणीय गिरिराजजी.
आपकी रचनाओं की वैचारिकता प्रभावित करती है. ऐसी कविताओं में शाब्दिकता को हावी न होने दें. शब्दों का प्रयोग गठन के अनुरूप हो.
आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा.
शुभ-शुभ
परम आदरणीय विजय भाई , रचना स्वीकार्ने के लिये आपका दिली शुक्रिया !!
राम शिरोमणी भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया !!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !! //हार्दिक बधाई आपको
//
//हम अपनी पूरी ऊर्जा,
पूरी शक्ति, पूरी समझ,पूरा समय
दूसरों को जानने मे लगाये हुये हैं ।
खुद को कभी जान ही नही पाये ।//
बहुत सच कहा है आपने।
अभिव्यक्ति के लिए आपको बधाई।
सादर,
विजय निकोर
अन्नपूर्णा जी , हौसला अफज़ाई के लिये शुक्रिया !!
गीतिका जी , बहुत आभार आपका !!
बढ़िया अभिव्यक्ति !!
बधाई स्वीकारिये आदरणीय गिरिराज जी!
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