अंतस मे उमड़ती भावनायें,
उचित शब्द टटोलते,
शब्द कोशों को पार कर,
निष्फल प्रयासों से हार कर,
अंततः आवारा हो गईं !
और फिर आँखों के रास्ते ,
अश्रु बून्द के रूप में,
मेरे अंतस को हलका करके,
फिर से भर जाने के लिये,
थोडा सा खाली करके,
खुद भी आज़ाद हो गईं !!!
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया प्राची जी , आपका बहुत बहुत आभार !!
भाव प्रवणता के उफान को सही शब्द मिले हैं
हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी
अभिनव भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , रचना की सराहना के लिए
राज भाई , रचना स्वीकार करने के लिये आपका ह्रदय से आभार
अरुण भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली आभार !!
अत्यंत गहन भावों की सरल अभिव्यंजना हार्दिक बधाई आदरणीय !!
संक्षिप्त, सुन्दर, व प्रवहमान अभिव्यक्ति के लिए बधाई गिरिराज जी!
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय बधाई स्वीकारें
शुक्रिया भाई जितेन्द्र !!
सुंदर प्रभावी रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी
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