For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठीक है फैसला ,
जीवन और मृत्यु सा था ।
चुनाव भी तो तुम्हारा अपना था।
फैसला तुम्हारा खुद का था,  
तो, उदासी क्योँ ?
खुद का लिया फैसला, 
कभी भी खुद को तो उदास नही करता ।
अगर बगैर किसी दबाव या मज़बूरी से लिया जाय ।
हां, दूसरे उदास , परेशान हो सकते है ,
तुम्हारे फैसले से ।
फिर क्यों उदास हो ?
क्या तुम खुद को नही जानते ?
नही पहचानते ?
हां,ये हो भी सकता है,या
ये  ही होगा निश्चित !
क्यों कि ,
हम अपनी पूरी ऊर्जा,
पूरी शक्ति, पूरी समझ,पूरा समय
दूसरों को जानने मे लगाये हुये हैं ।
खुद को कभी जान ही नही पाये ।
खुद से नितांत अनजान ! 
क्या फैसला करेगा !!
खुद के लिये !!!
और करेगा भी तो कितना सही होगा
कौन जाने ?    

*************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
 

 

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 8:18pm

सौरभ भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका अभार ! आपकी सलाह  ध्यान रखूंगा , सलाह के लिये धन्यवाद भाई जी !! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 8:02pm

बहुत साझा करती इस कविता के लिए हृदय से बधाई आदरणीय गिरिराजजी. 

आपकी रचनाओं की वैचारिकता प्रभावित करती है. ऐसी कविताओं में शाब्दिकता को हावी न होने दें. शब्दों का प्रयोग गठन के अनुरूप हो.

आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा.

शुभ-शुभ

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 3:08pm

परम आदरणीय विजय भाई , रचना स्वीकार्ने के लिये आपका दिली शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 3:05pm

राम शिरोमणी भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया !!

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:20pm

बहुत ही  सुन्दर अभिव्यक्ति !! //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by vijay nikore on August 20, 2013 at 1:38pm

//

//फैसला तुम्हारा खुद का था,  तो, उदासी क्योँ ?//   .... अति सुन्दर भाव !

 

//हम अपनी पूरी ऊर्जा,

पूरी शक्ति, पूरी समझ,पूरा समय

दूसरों को जानने मे लगाये हुये हैं ।

खुद को कभी जान ही नही पाये ।//

 

बहुत सच कहा है आपने।

अभिव्यक्ति के लिए आपको बधाई।

सादर,

विजय निकोर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 11:27am

अन्नपूर्णा जी , हौसला अफज़ाई के लिये शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 11:26am

गीतिका जी , बहुत आभार आपका !!

Comment by वेदिका on August 19, 2013 at 11:20pm

बढ़िया अभिव्यक्ति !!

बधाई स्वीकारिये आदरणीय गिरिराज जी!

Comment by annapurna bajpai on August 19, 2013 at 11:11pm
आ ० भण्डारी जी अति सुंदर रचना पर क्या कहूँ निशब्द हूँ । शुभकामनायें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service