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ग़ज़ल- सारथी || कोई अच्छा बहाना देख लेना ||

कोई अच्छा बहाना देख लेना

कहीं दिलकश ठिकाना देख लेना /१ 

अगर मिलना हो तुमको हमनशीं से 

तो फिर मौसम सुहाना देख लेना/२  

भले ही मुश्किलों में हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना देख लेना/३  

मजा लेना अगर है दुश्मनी का

कोई  दुश्मन पुराना देख लेना /४  

किसी की आबरू यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना देख लेना/५  

सितारों की कबड्डी में मजा क्या 

कभी परदा हटाना देख लेना /६  

हमारा ‘सारथी’ है नाम समझे

मिज़ाजे - शाइराना देख लेना /७  

.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 

 

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Comment by Saarthi Baidyanath on September 29, 2013 at 10:21am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी : सादर प्रणाम !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2013 at 11:07pm

आपकी ताक़त लुभाती है..बहुत अच्छे 

बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on September 26, 2013 at 6:24pm

आदरणीय वीनस केसरी साहब 
जनाब शुक्रिया ..मेहरबानी, बख्श दी आपने जिंदगानी, आपकी खरी खरी प्रतिक्रिया से मैं बहुत प्रभावित हूँ ..! कभी कभी ऐसा हो जाता है कि एक ग़ज़ल के सारे अशआर अच्छे हो जाते हैं! आपकी निराशा का अंदाज़ा मुझे है! बस, हिम्मत देते रहिएगा, कोटिशः नमन सहित :)   

Comment by Saarthi Baidyanath on September 26, 2013 at 6:17pm

डॉक्टर  प्राची सिंह :
आदरणीया, धन्यवाद इस स्नेह के लिए !...नमन स्वीकार करें :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 11:59am

सुन्दर ग़ज़ल कही है आदरणीय 

बधाई स्वीकारें 

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 2:54am

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |


हमारा ‘सारथी’ है नाम..... समझे

मिज़ाजे - शाइराना.... देख लेना  |

इन दो अशआर के लिए दाद क़ुबूल करें ...

भाई छ्प्पन भोज के बाद रूखा-सूखा में मजा नहीं आता ..
जो आदत लगा दी है वही पेश करते रहिये

Comment by Saarthi Baidyanath on September 25, 2013 at 5:05pm

आदरणीय चन्द्र शेखर पाण्डेय जी :
महाशय... पहली दफा, ग़ज़ल के इस भाग को अंकित किया है आपने ..! इस मिसरे का मिजाज़ ..आपने सचमुच पकड़ लिया !..आभार व्यक्त करता हूँ ...! अनेक धन्यवाद ..नमन आपको :)

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 2:22pm

सितारों की कबड्डी. में मजा क्या 

कभी परदा...... हटाना देख लेना | वाह्ह क्या बात कही आदरणीय, अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on September 24, 2013 at 10:45pm

श्रीमती मलिक जी :
महाशया ...आपका स्नेह मिला ..गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ ...! अनवरत आशीष देते रहिएगा ...कोटि कोटि नमन आपको !सधन्यवाद :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 24, 2013 at 10:43pm

श्री अरुन शर्मा 'अनन्त':
जनाब...पहले तो असंख्य धन्यवाद आपका ...! आपकी बातों का अवश्य पालन करूँगा ... 'ना' को शायद १ वज्न रखने की परम्परा है ..मुझे विदित नहीं था ..! आपका बहुत बहुत धन्यवाद इस ओर ध्यानाकर्षण के लिए ...! सादर नमन सहित :) 

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