!!! भंवर में डूब गयी नाव !!!
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उधार आज नहीं, कल नकद बताने से।
भंवर में डूब गयी नाव, भाव खाने से ।।
जवां-जवां है हंसीं है सुहाग रातों सी।
यहां गुलाब - चमेली महक जताने से।।
बड़े उदास सितारें जमीं पे टूट गिरे।
हंसी खिली कि चमेली मिली दीवाने से।।
कठोर रात सितारों पे फबितयां कसती।
हुजूर आप यहां, चांद डगमगाने से।।
शुभागमन है यहां भोर लालिमा जैसी।
सुगन्ध फैल गयी नम हवा बहाने से।।
के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 सुशील भाईजी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर
सुंदर गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें आ0 केवल भाई जी...
आदरणीय वीनस भाई जी, आपके स्नेह और समर्थन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
आदरणीय बृजेश भाई जी, आपके स्नेह और समर्थन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,
सुन्दर भाव पूर्ण ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें
इस सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीय अखिलेश भार्इ जी, टंकण सही है, किन्तु परिवर्तित्त करने के समय कुछ दिक्कते आ जाती है। आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय भण्डारी भार्इ जी, आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय विजय सर जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
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