For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी दिवाली (लघुकथा)

"माँ ! आज मैं सुबह ही सभी के घर जाकर,  दियो में बचे हुए तेल इकठ्ठा कर लाया हूँ,
आज तो पूड़ी बनाओगी ना? "

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:21pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी सादर अभिवादन, उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:58am

बहुत खूब भाई पवन कुमार जी।
भाई दीपक मशाल जी, ओबीओ पर बिना सोचे समझे टिप्पणी दिए जाने वाली आपकी बात से मैं कुछ हद तक सहमत हूँ, लेकिन पूरी तरह नहीं। हमारा उद्देश्य ऐसा कभी नहीं रहा, आश्वस्त रहें। और वार्तालाप शैली में लघुकथा कहने का प्रचलन कोई आज से नहीं है, बल्कि इसे लघुकथा की एक खूबी भी माना जाता है बशर्ते कि लघुकथा अपना सन्देश देने में सफल रहे।

Comment by Pawan Kumar on November 1, 2014 at 10:31am

आदरणीया विन्दु जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Vindu Babu on October 30, 2014 at 9:32pm

कथ्य मार्मिक है आदरणीय पवन जी।

सादर शुभकामनाएँ

Comment by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 5:32pm

आदरणीय श्री शरदिन्दु मुकर्जी जी सादर अभिवादन,  आपने कथा पर अपना अमुल्य समय दिया जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 5:31pm

आदरणीय डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन, आपने लघुकथा की इतनी विस्तृत जानकारी दी जिसका मुझे जरा भी ज्ञान नही था, अब तो उत्साह और बढ गया जिससे रचनाकर्म में सहयोग मिलेगा। भविष्य में यूँ ही सस्नेह मार्गदर्शन करते रहिएगा, कथा को स्वीकारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, हार्दिक आभार!

Comment by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 5:31pm

आदरणीय सोमेश जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 5:30pm

आदरणीय दीपक जी सादर अभिवादन, आप सभी की टिप्पणियों से जिज्ञासा बढ जाती है और परत दर परत खोलकर किसी भी रचना की गहराई तक जाने की इच्छा होती है, बहुत कुछ सिखने को मिलता है।
रचना पर समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! सादर आभार!

Comment by Pawan Kumar on October 30, 2014 at 5:30pm

आदरणीय जितेन्द्र भईया सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 27, 2014 at 2:57am
बहुत सुंदर. आदरणीय डॉ गोपाल नारायन जी ने अपने सुस्पष्ट विचार रखे हैं और उनसे मैं पूरी तरह सहमत हूँ. भाई पवन जी आप अपनी सोच और उस सोच से उद्गत सृजन को अपने पथ पर अग्रसर होने दें....आलोचना अथवा टिप्पणियाँ उन्हें भ्रमित न करने पाएँ. आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service