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मुकरियाँ- 'वोट' (मताधिकार) प्रक्रिया पर प्रकाश

मुख भोला है भली पोशाक |

मैं भी तत्पर हुई बेबाक |                          बेबाक= निर्भीक|

किसे पता की मन में खोट|

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

 

कमरे में घुसते ही जाँचै |

उलटि पलटि वह ठहि के बाँचै |                  ठहि= स्थिर, इत्मीनान; बाँचै= निरखना, पढ़ना |

आँखों से मारै जस चोट |

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

 

ना छोड़ै जब अवसर आवे |

अंगुली पकड़त दाग लगावे |

ना पहचानै बड़ा न छोट |

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

 

यही दाग जो देखै दुनिया |

लगा न अहमक, लगै त गुनिया |                अहमक= मंदबुद्धि; गुनिय= अक्लमंद (गुणवान) | 

न छूटै देख्यो रगड़ निकोट |

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

 

एक दूजे से नजर बचावै |

चिन्ह देख कइ बटन दबावै |

उहँईं दबावै जहँ पै ओट |                           ओट= आड़ (पर्दे इत्यादि का ओट)     |

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

.

शरद सिंह “विनोद”

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2015 at 7:03pm

आदारणीय शरद भाई , बढिया कहमुकरियाँ रची है आपने , बधाई ।

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:23pm

आदरणीय खुर्शीद जी धन्यवाद.... आपके विश्लेषणात्मक अध्ययन के लिए कोटिशः धन्यवाद!!

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय श्री विजय शंकर जी सादर आभार.. धन्यवाद!

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:16pm

आदरणीय सोमेश जी! -- मुकरियाँ= चटनी... चटनी अच्छी लगती ही है......... धन्यवाद!!!

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:12pm

धन्यवाद आदरणीय रमेश जी

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:11pm

आदरणीय श्री मिथिलेश भाई आप जैसे श्रेष्र्ठ, अग्रजों के प्रेरणा व सहानुभूति ही रचना मे परिणत हुई है...... धन्यवाद //सादर

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 2, 2015 at 3:05pm

आदरणीय श्री हरि प्रकश जी शुभकामनायें सहर्ष स्वीकार... सहृदय धन्यवाद्ड!!

Comment by khursheed khairadi on January 2, 2015 at 1:41pm

कमरे में घुसते ही जाँचै |

उलटि पलटि वह ठहि के बाँचै |                 

आँखों से मारै जस चोट |

कह सखि साजन ? ना सखि वोट |

आदरणीय शरद सिंह जी अच्छी रचना है | खुसरो की याद दिलादी आपने |सादर अभिनन्दन 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 10:53pm
सुन्दर प्रयास , बधाई आदरणीय विनोद जी, सादर।
Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 8:31pm

mukuriyan acchi lgi 

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