For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिला पार्षद (लघुकथा) :कान्ता राॅय

हर जगह चुनावी माहौल, पार्षद के चुनाव में जाने कहाँ-कहाँ से कुकुरमुत्ते की तरह  नई नई पार्टियां दिखाई देने लगी । जिन्होंने कभी घर से बाहर कदम नहीं निकाले वे स्त्रियां भी गले में माला डाले गली गली घूम रही है । जाने कौन कौन से कोटे के तहत चुनाव लड रही है । बात करने गई तो मालूम हुआ बात करने में नेताईन को पसीना भी आता है ।
"जीत जायेंगी तो कैसे संभालेंगी इतनी जिम्मेदारी ।"
पूछने पर हँसते हुए कहती है ,  
"अरे, मै कहाँ यह सब तो हमारे "वो" ही संभालेंगे । बस मुझे आप लोग जीतवा देना । "


कान्ता राॅय 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 25, 2015 at 4:49pm

बढिया.. बहुत खूब !


पूछने पर हँसते हुए कहती है , इस पंक्ति को न भी लिखें,  फिरभी, लघुकथा अपना काम कर रही है.
प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीया
सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:56pm

स्वागत है आदरणीया कांता रॉय जी.

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 11:43pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.इंजी.गणेश "बागी "जी मेरा हौसला बढाने के लिए । आपका यह मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:32pm

आदरणीया कांता जी, आप द्वारा एक अच्छी लघुकथा प्रस्तुत की गयी है जिसके लिए आप बधाई की पात्र हैं, हाँ एक बात कहना चाहूँगा, लघुकथा की अंतिम पक्ति निरर्थक है, लघुकथा उसके बगैर भी स्वयम में पूर्ण है. सादर .

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 11:18pm
बहुत बहुत आभार आ. अर्चना तिवारी जी आपको । मेरा हौसला बढाने के लिए शुक्रिया
Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 10:10pm

बढ़िया लघुकथा के लिए बधाई आदरणीया कांता रॉय जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 22, 2015 at 9:00pm

आदरणीया कांता जी, इस रचना के पूर्व आपके द्वारा विभिन्न रचनाओं और डिस्कसन मंच पर की गई संतुलित टिप्पणियों के बाद से ही आपकी रचना की प्रतीक्षा कर रहा था. जैसी उम्मीद थी वैसी ही सधी हुई और सशक्त रचना आपने प्रस्तुत की है. पुनः बधाई 

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:44pm
बहुत बहुत आभार आ.हरि प्रकाश दुबे जी ।मेरा हौसला बढाने के लिए शुक्रिया ।
Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:43pm
बहुत बहुत आभार जितेन्द्र पस्टारिया जी मेरा हौसला बढाने के लिए ।
Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:41pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.मिथिलेश वामनकर जी मेरा हौसला बढाने के लिए । मेरी ओ बी ओ में यह पहली रचना थी इसलिए जरा घबराई हुई सी थी लेकिन आप सबके प्रोत्साहन से मेरी रचनाशीलता को यहाँ नया आयाम मिलेगा यह उम्मीद करती हूँ । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service