For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंदर अंदर रोता हूँ मैं, ऊपर से मुस्काता हूँ,

गजल लिखने का प्रयास मात्र है, कृपया सुधारात्मक टिप्पणी से अनुग्रहीत करें  

अंदर अंदर रोता हूँ मैं, ऊपर से मुस्काता हूँ,
दर्द में भीगे स्वर हैं मेरे, गीत खुशी के गाता हूँ.


आश लगाये बैठा हूँ मैं, अच्छे दिन अब आएंगे,
करता हूँ मैं सर्विस फिर भी, सर्विस टैक्स चुकाता हूँ.


राम रहीम अल्ला के बन्दे, फर्क नहीं मुझको दिखता,
सबके अंदर एक रूह, फिर किसका खून बहाता हूँ.


रस्ते सबके अलग अलग है, मंजिल लेकिन एक वही,
सेवा करके दीन दुखी का, राह खुदा का पाता हूँ.


हिंसा करना, शोर मचाना, ऐसी भी कोई पूजा है
प्रेम तत्व को खुद न समझा, औरों को समझाता हूँ.


तेरा मेरा उसका सबका, भेद बहुत ही है गहरा
इन भेदों से ऊपर उठकर, अखिल विश्व पा जाता हूँ

 (मौलिक व अप्रकाशित)

- जवाहर लाल सिंह 

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 9, 2015 at 9:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 4, 2015 at 1:46pm

आदरणीय जवाहर लाल जी  सरल शब्दों में बेहतरीन ग़ज़ल ..आपको हार्दिक बधाई सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2015 at 8:22pm

आदरणीय मोहन सेठी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया और पंक्तियाँ चिह्नित करने के लिए अतिशय आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2015 at 8:20pm

आदरणीय समर कबीर साहब, अदाब! आपकी दाद मैं कबूल करता हूँ साथ ही आपके समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ..सादर!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 3, 2015 at 4:04pm

बहुत ख़ूब आदरणीय .....बधाई ....सादर 

राम रहीम अल्ला के बन्दे, फर्क नहीं मुझको दिखता,
सबके अंदर एक रूह, फिर किसका खून बहाता हूँ.

Comment by Samar kabeer on April 3, 2015 at 3:32pm
जनाब जवाहर लाल सिंह जी,आदाब,अच्छी और सुन्दर.ग़ज़ल पेश की है आपने,शैर दर शैर दाद केसाथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 2, 2015 at 9:29pm

आदरणीय डॉ, विजय shankar जी, सादर अभिवादन! आपका उत्साह वर्धन मिलता रहे यही उम्मीद करता हूँ ..आगे मेरा प्रयास जरी रहेगा. सादर! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 2, 2015 at 9:27pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी, सादर अभिवादन! उत्साह वर्धन का आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 2, 2015 at 9:25pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 2, 2015 at 9:23pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, सादर अभिवादन!

उत्साह वर्धन का आभार! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service