For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जवानी की दहलीज़ पार कर चुकी  विनीता ने फिर से लड़के वालों के आने की खबर सुनते ही अपने घर जाने के अरमानों को संजों लिया. अपनी माँ के खटिया पकड़ने के बाद, उसे अपने पिता समान बड़े भाई और माँ के दर्जे वाली भाभी से ही आशायें बंधी हुई है. आज फिर एक कुलीन परिवार का लड़का, अपनी सहमती जताकर लौट गया. मेहमानों के लौटते ही भाभी ने विनीता से कहा..

“बिन्नो!! मैं ऑफिस के लिए बहुत लेट हो गई हूँ. तुम बच्चों को तैयार कर स्कूल भिजवा देना, माँ जी का कमरा और कपडे देख लेना और सुनो.. मैं तुम्हारे लिए आज वाले लड़के से भी सुंदर राजकुमार ढूंढ कर लाउंगी...”

विनीता अपने काम में जुट गई और अपने अरमानो को फिर से दबाकर, एक नए जीवनसाथी की कल्पना उसके मन में सजने लगी...

जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)  

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:07pm

आपके स्नेह हेतु आपका आभारी हूँ,आदरणीय कृष्णा जी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:06pm

रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति से बड़ा मनोबल मिलता है आदरणीया राजेश दीदी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:04pm

प्रोत्साहन हेतु आपका ह्रदय से आभार, आदरणीय हरिप्रकाश जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:03pm

यह सब ओ.बी.ओ. और गुरुजनों का सानिध्य है ,आदरणीय जवाहर जी. स्नेह हेतु आपका आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:01pm

आपका बहुत-बहुत आभार, आदरणीया वंदना जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:01pm

आपका ह्रदय से आभार, आदरणीय विनय जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 8:00pm

आपकी बधाई सहर्ष शिरोधार्य, आदरणीय सौरभ जी. अपना स्नेह व् मार्गदर्शन हमेशा बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 5:54pm

आपकी नज़र दिनोदिन प्रखर होती जा रही है, भाईजी. 

हृदय से बधाइयाँ ..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 10:46pm

आदरणीय जितेन्द्र सरजी आपकी लघुकथाए अपने शबाब पर आती जा रही है!...बहुत बहुत बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2015 at 10:40pm

मर्मस्पर्शी रचना जो अपनों का अपनों के हो हाथों शोषण का कच्चा चिटठा खोलती है ...बहुत बढ़िया लघु कथा .बधाई आपको जितेन्द्र भैया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service