“ कुछ कीजिये..सर!! आप ने तो भाषण दे दिया कि प्राकृतिक आपदा के कारण, गुणबत्ता रहित अनाज भी समर्थन मूल्य पर खरीद लेंगे. इससे हम लोगों को नुक्सान हो जायगा. चुनावी फंड, रिफंड करने का अच्छा अवसर है..”
“ अरे!! आप लोग व्यापारी हो, इतना भी नही समझते. किसानो को पैसों की बहुत जरुरत है. अभी भाषण ही दिया है , लिखित आदेश की गति बहुत धीमी होती है.."
जितेन्द्र पस्टारिया
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आपका बहुत-बहुत आभार, आदरणीया प्रिया जी
सादर!
आपकी बधाई सहर्ष सिर आँखों पर ,आदरणीय गिरिराज जी
सादर!
लघुकथा पर आपकी सराहना हेतु आपका आभारी हूँ, आदरणीय लक्ष्मण जी
सादर!
बहुत सुन्दर ! आदरनीय जितेन्द्र भाई , हार्दिक बधाई लघुकथा के लिये ॥
अवसर भुनाने के स्वार्थ पर जोरदार तंज कसती सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री जितेन्द्र पस्टारिया जी
आपका ह्रदय से आभार, आदरणीय कृष्णा जी
सादर!
रचना को प्रोत्साहित करती सराहना हेतु आपका आभारी हूँ, आदरणीया राजेश दीदी.
सादर!
सुन्दर लघुकथा पर बधाई जीतेन्द्र सर!
अवसरवादिता का शनदार उदाहरण ....कथनी करनी में फर्क ..बहुत बढ़िया कटाक्ष करती लघु कथा .हार्दिक बधाई जितेन्द्र भैया .
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