For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्योंकि वह एक लड़की है (कविता )

ख्वाहिशों के सूरज का उगना हर सुबह 
मन की खिड़की से झांकना हर सुबह 
परदे मन पर लगाना चाहती है 
ओट में हसरतों को दबाना चाहती है 
क्योंकि वह एक लड़की है 
समाज की नज़रों में लड़की बोझ होती है 
उसे उम्मीदों के आँगन में 
आशाओं के फूल खिलाने का 
कोई हक नहीं होता 
उसे हक है बस इतना कि 
पराया धन कहलाए 
किसी और के मधुबन को
चमन वो बनाए 
लगा कर माथे रक्तिम गोल चिन्ह 
किसी की पत्नी तो 
किसी की बहू वह कहलाए 
पैरों में बाँध कर बन्धनों की पायल 
अपनी ही आवाज़ को
घुंघुरू के शोर में दबाए 
मौनमूक रह अपने कर्तव्यों को निभाए 
ड्योढ़ी पर आते आते कदम उसके थम से जाते हैं 

क्योंकि वह एक लड़की है !!

(मौलिक और अप्रकाशित )

डिम्पल गौड़ " अनन्या "

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:30am

Samar kabeer जी  सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका अनंत आभार |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:28am

 Dr. Vijai Shanker जी  अभी तो बहुत कुछ सीखना है | जो भी लिखा आपको पसंद आया इसके लिए आपका तह दिल से आभार |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:25am

 Kewal Prasad जी  आपकी सटीक सराहना हेतु हार्दिक आभार  |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:23am

 shree suneel  जी सादर आभार आपका  |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:22am

 Mohan Sethi जी रचना की सराहना  करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:20am

 krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी  बेहद शुक्रिया आपका  |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:19am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी आपकी उत्तम प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 25, 2015 at 12:16am

आदरनीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपकी सटीक प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार | आपने जो भी खामियां चित्रित की हैं उन्हें भविष्य में सुधारने का पूरा पूरा प्रयत्न करुँगी | एक बात कहना चाहती हूँ कि आज भी कितनी ही जगह नारी अपने स्वाभिमान का गला घोंटने को मजबूर है | आधुनिक नारी तो जागरूक हो चुकी है मगर पिछड़े इलाकों में आज भी वही पुरानी स्थिति है | इस कविता के माध्यम से मैंने उन्हीं लड़कियों की  दशा का वर्णन करने का एक छोटा सा प्रयास किया है | सादर |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 23, 2015 at 12:53pm

आ० अनन्या  जी

पहले तो खावाहिशों को ख्वाहिशों कर लें  i दूसरी बात परंपरागत सोच से बाहर आइये .लड़की होने पर फक्र कीजिये , अपना  स्वाभिमान ऊँचा कीजिये . माँ , बहन. बेटी. पत्नी और बहू  नारी के किस रूप में गरिमा नहीं है . फिर आज की नारी , वह तो बहुत ही जागरूक है . विचारों में सकारात्मकता  लाईये , सादर .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 22, 2015 at 9:59am

सदा से आ रही एक मूक वेदना को बहुत उम्दा भाव मिले, बधाई आदरणीया डिम्पल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service