For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तोहफा :
हेमा के हाथों में मेहँदी लग चुकी थी | विवाह में अब केवल दो ही दिन शेष रह गए थे |
रिश्तेदारों के नाम पर आए हुए कुछ लोगों में से दो महिलाएं खुसर फुसर कर रहीं थीं ||
“अरे इसके चेहरे पर तो दुल्हनों जैसी चमक ही नहीं है कितना बुझा बुझा सा मुखड़ा लग रहा है!
“अब क्या करे बेचारी ! माँ बाप ने कैसे न कैसे, जोड़ तोड़ करके तो यह रिश्ता करवाया है | “
"हाँ तुम सही कह रही हो | लेकिन यह अकेली ही तो इस घर की जिम्मेदारी उठा रही थी| अब क्या होगा इसके जाने के बाद ?"
"भाई है न !! सोलह सत्रह साल का तो हो ही गया है संभाल लेगा जैसे तैसे | अब हमें क्या है ! जो कुछ भी करें इनकी मर्जी |
पिता ने तो कभी जिम्मेदारी समझी ही नही| दो छोटे छोटे भाई बहन और हैं |मुझे तो बड़ा तरस आता है इनकी हालत देख कर |
तभी हेमा के मामाजी आ पहुंचे| भात जो भरना था | जैसे ही उन्होने अपना बक्सा खोला सबका मुँह खुला का खुला रह गया | साड़ियों और श्रृंगार साधनों के साथ एक बहुत ही जड़ाऊ और काफी महँगा सोने का हार भी था उस बक्से में |
मामाजी ने हार हेमा की गोद में रख दिया | तभी अचानक हेमा उठी और माँ के पास पहुँच गयी | इस तोहफे पर मेरा कोई अधिकार नहीं है,आप इसे अपने पास रखिये माँ और मैंने धवलजी से बात कर ली है, मैं शादी के बाद भी नौकरी करती रहूंगी | अपनी खुशियों के लिए नहीं ... अपने परिवार की खुशियों के लिए |" यह कह कर हेमा ने पास खड़े छोटे भाई बहन को अपने अंक में भर लिया |
माँ की आँखों से अविरल अश्रुओं की धारा बह निकली |
(मौलिक और अप्रकाशित )
डिम्पल गौड़ 'अनन्या'

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohinder Kumar on May 6, 2015 at 2:14pm

आदरणीये डिम्पल जी,

बेटी बोझ नहीँ होती अपितु अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितनी सजग होती  है... इसी बात का अहसास करवाती एक सार्थक रचना... 

Comment by Archana Tripathi on May 2, 2015 at 4:24pm
बेहद मार्मिक रचना,भूतसुन्दर शब्दों में उकेरा है आपने डिंपल गौड़ जी ,बधाई आपको
Comment by डिम्पल गौड़ on April 30, 2015 at 12:18am

आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी कथा की सराहना करने हेतु बेहद शुक्रिया आपका |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 30, 2015 at 12:17am

डॉ विजयी शंकर जी सादर आभार | आपकी समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 30, 2015 at 12:10am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आप जैसे गुणीजन की टिप्पणी प्राप्त होना सच में मेरे लिए बड़ी ही प्रसन्नता की बात है |सादर आभार आपका |

Comment by डिम्पल गौड़ on April 30, 2015 at 12:07am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया मेरे लेखन को एक सुदृढ़ दिशा प्रदान करेगी | बहुत बहुत आभार आपका जो आपको मेरी रचना पसंद आई |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 28, 2015 at 10:57am

मर्मस्पर्शी रचना ... लड़कियाँ अब बड़ी हो रही हैं और खुसर पुसर करने वाली महिलाएं छोटी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 27, 2015 at 5:48pm
अच्छी कहानी है। बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 27, 2015 at 1:07pm

बहुत ही मार्मिक रचना ..... मानवीय सदगुणों की पराकाष्ठा का बहुत ही मार्मिक  चित्रण हुआ है इस लघुकथा में. एक सकारात्मक दिशा की जाती हुई सफल लघुकथा. 

आदरणीया  डिम्पल जी इस रचना पर हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 27, 2015 at 11:45am

बहुत अच्छी मर्मस्पर्शी रचना साझा की आपने ,आदरणीया डिम्पल जी. ऐसा होता है यह बिलकुल सत्य है, बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
35 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
45 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service