For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माहौल"
गुप्ता जी की बेटी ने प्रेम विवाह कर लिया। ये खबर आग की तरह पूरे आस पड़ोस मे फैल गयी। गुप्ता जी के नाम और प्रतिष्ठा से जलने वालो को तो मानो मौका मिल गया था। कई रोज़ तक ये खबर लोगो के मनोरंजन का विषय बनी रही, पर इन सबके बावजूद गुप्ता जी के चेहरे पर शिकन तक ना थी उनके चेहरे मे पहले सी मुस्कान देखकर पडोसियों की ख़ुशी खिसियाहट मे बदल गयी थी।
ये खबर जानकर गांव से आए उनके पिता ने बड़ी नाराजगी में अपने बेटे-बहु को ड़ांटते हुए कहा- यह जो हुआ इसका जिम्मेदार तुम्हारे घर का माहौल है जो जवान लड़की को इतनी छूट दी गई!!!!! गुप्ता जी शांत होकर उनकी डांट सुन रहे थे तभी उनकी पत्नी ने मुस्कराते हुए कहा- ' हाँ पिताजी ये हमारे घर का माहौल ही है जिसकी वजह से हमारी बेटी ने हमसे कुछ नहीं छिपाया...उसका जीवनसाथी इतना योग्य और संस्कारवान है कि हमनें उसके इस फैसले पर तुरंत हामी भरी। अगर रिश्तेदारों से सहमति लेते तो दस तरह की बांते सामने आती। वे दोनों खर्चीली और दकियानुसी शादी से बचना चाहते थे इसलिए कोर्ट मैरिज कर लिया..उसने हमें बताया और हमारी स्वीकृति का इंतजार किया..वरना वो घर से भाग भी सकती थी।
यह सब सुनकर वृद्ध पिताजी को अपने बेटे-बहु के घर के माहौल पर फक्र हो रहा था। और उनके चेहरे में भी अपने बेटे जैसे शांति और सुकुन के भाव फैल गए।
(मौलिक एवं अप्रकाशित रचना )
-प्रिया मिश्रा, सतना (म.प्र.)

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:10pm
यह मेरी दूसरी कथा है इसके पहले मेरी कथा "मान " मंच पर आ चुकी है। धन्यवाद आदरणीय जितेन्द् जी
Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:07pm
आपका बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी ।
Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:05pm
धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी आपको मेरी कथा पसंद आई ये मेरा सौभाग्य है!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 15, 2015 at 12:16am

बहुत ही सुंदर सन्देश. ऐसी सकारात्मक लघुकथा कम ही पढने को मिलती है. शायद यह आपकी प्रथम रचना है आदरणीया प्रिया जी. बहुत अच्छा लिखा है आपने. लिखते रहिये

शुभकामनायें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:55pm

//लघुकथा संभवतः लाइव महोत्सव के आयोजन के दौरान प्रस्तुत हुई है संभवतः इस कारण मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से रह गयी. //

यह संभव है, आदरणीय ,मिथिलेशभाई..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 14, 2015 at 11:45pm

आदरणीया प्रिया जी बहुत ही सुन्दर सन्देश देती इस सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई.

आदरणीय सौरभ सर की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना बड़ी बात है. " संदेश देती ऐसी सक्षम एवं समर्थ कथा" जैसी बेहतरीन टिप्पणी के लिए विशेष बधाई.

आपकी लघुकथा संभवतः लाइव महोत्सव के आयोजन के दौरान प्रस्तुत हुई है संभवतः इस कारण मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से रह गयी. साधारणतया आयोजन के दौरान ब्लॉग पोस्ट पर आना बहुत संभव नहीं हो पाता है क्योंकि आयोजन का समय केवल दो दिन का होता है. आयोजन की सहभागिता व्यस्त होने के कारण ब्लॉग हेतु किसी के पास  समय ही नहीं होता. खैर देर से ही सही आपकी बेहतरीन रचना पढने का अवसर तो मिला. इस प्रस्तुति पर पुनः बहुत बहुत बधाई. सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:18pm

इस कथा की सकारात्मक भावदशा और इसकी सुप्रेरित करती अंतर्धारा चकित करती है, आदरणीया प्रियाजी. चकित ये भी कर रही है कि संदेश देती ऐसी सक्षम एवं समर्थ कथा मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से कैसे रह गयी ?
आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
शुभेच्छाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
10 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service