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ग़ज़ल :- तनाबें सब उखड़ गईं तुम्हारे एतबार की

मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन


तनाबें सब उखड़ गईं तुम्हारे एतबार की
हमें न अब सुनाइये कहानियाँ बहार की

फ़क़ीर की,न शाह की,न जोहरी ,सुनार की
यहाँ पे बात कर रहा हूँ मैं तो सिर्फ़ प्यार की

ज़रा सी देर बाद ये चराग़ बुझ ही जाएगा
हदें तमाम ख़त्म हो रही हैं इन्तिज़ार की

चढ़े दिमाग़ पर तो फिर कभी न वो उतर सके
मुझे तलाश है जनाब-ए-मन उसी ख़ुमार की

नदी किनारे झाड़ियों में छुप के बैठता है वो
सताए उसको भूक जब तलब लगे शिकार की

सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की

ख़ुशी से झूमते हो,झूम लो "समर" ज़रा सुनो
ख़बर तो कोई लाओ मेरे ग़म के रेगज़ार की

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Saurabh Pandey on June 10, 2015 at 12:37am

बहुत खूब आदरणीय समर साहब ! ग़ज़ब ! मतले पर तो जैसे आपने जान लुटा दी हैं. इस ग़ज़ल का भाव, कहन, शिल्प और प्रस्तुति,, सब अद्भुत.. अद्भुत.. !! .. हृदय से शुभकामनाएँ, भाईजी.


पंचचामर छन्द जिसमें जयशंकर प्रसाद ने ’हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती..’ की रचना की है वह शुद्ध लघु-गुरु की आठ जोड़ा आवृतियों में निबद्ध है, शब्द-कलों का सहारा नहीं लिया जाता है. इसी छन्द की ’लघु-गुरु’ की आवृतियों का आधा यानी चार जोड़ा आवृति होने पर प्रमाणिका छन्द कहलाता है.

Comment by Samar kabeer on June 8, 2015 at 2:07pm
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by shree suneel on June 7, 2015 at 12:36pm
तनाबें सब उखड़ गईं तुम्हारे एतबार की
हमें न अब सुनाइये कहानियाँ बहार की.. उम्दा..
आदरणीय समर कबीर सर, बधाई आपको इस प्रस्तुति पर.
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:42am
जनाब महर्षि त्रिपाठी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:41am
जनाब जवाहर लाल सिंह जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:39am
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:38am
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:36am
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:33am
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 6, 2015 at 10:32am
जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।

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