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(श्रृंगार छंद की रचना। 16 मात्रा आदि 32 अंत 23(21) )

सजन ना प्यास अधूरी छोड़।
हमारा नाजुक दिल ना तोड़।
बहुत हम तड़पे करके याद।
एक दुखिया करती फरियाद।।

सदा तारे गिन काटी रात।
बादलों से करती थी बात।
रही मैं रोज चाँद को ताक।
कलेजा होता रहता खाक।।

मिलन रुत आई बरसों बाद।
करो मत इसको यूँ बरबाद।
गले से लगने की है चाह।
निकलती साँसों से अब आह।।

बाँह में लो निचोड़ तुम आज।
छेड़ दो रग रग के सब साज।
होंठ अब रहे हमारे काँप।
मिलन की आतुरता को भाँप।।

समर्पण ही है मेरा प्यार।
सजन अब कर इसको स्वीकार।
मिटा दो जन्मों की सब प्यास।
पूर्ण कर दो सब मेरी आश।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
01-08-2016

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 5, 2016 at 8:56pm
धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2016 at 8:45pm

आदरणीय वासुदेव भाई , वियोग शृंगार की अच्छी रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 5, 2016 at 7:52pm
आदरणीय कल्पना जी आपका बहुत आभार।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 7:36pm

इस सुंदर छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय |

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 4, 2016 at 8:00am
आ. कालीपद सर आपका बहुत आभार।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 3, 2016 at 11:03pm

श्रृगार और वियोग का सुन्दर, मधुर  संमिश्रण | बधाई आपको आदरणीय }

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 3, 2016 at 8:47pm
आ.शिज्जु शकूर भाई इस हौसला अफजाई के लिए दिली शुक्रिया।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 3, 2016 at 8:45pm
आ.सतविंदर भाई आपके उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 5:40pm

आ, बासुदेव अग्रवाल 'नमन'  जी वियोग शृंगार पर अच्छी रचना हुई है बधाई आपको

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 3, 2016 at 5:03pm
हार्दिक बधाई आदरणीय,इस सुंदर छ्न्द रचना के लिए।

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