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हाँ प्यार मेने भी किया बचपन से ले कर आज तक ...हाँ मुझे पता है प्यार अँधा होता ,,एक मा अपने बेटे से प्यार करती है और फिर वही बेटा उसकी पत्नी से..फिर वही पत्नी उसके बेटे से...बड़ा अजीब लगता ह सुनने मे... चलो मे अब बात करता हूँ की प्यार क्या होता है:-प्यार मे एक दूसरे का सम्मान होता है, जिसे प्यार करो उसकी फ़िक्र  होती है, उसकी चिंता होती है , उसकी बहुत याद आती हाई ,प्यार को तो महसूस किया  जाता है , प्यार कभी भी एक तरफ प्यार नही होता ,सामने वाला भी आपसे उमीद करता की आप भी बदले मे उसे तोड़ा बहुत प्यार दे, उसकी भावनाओ की काद्रा करे , उसे समझे , आपकी फीलिंग्स उसके साथ बाते अपना हर सुख और दुख उसके साथ बाट्‍टे ,जिंदगी मे उसका साथ दे ,,एक दूसरे के लए जीने का मक़सद बने ,एक दूसरे के हम सफ़र,
जब दो दिल आपस मे मिलते है तो आपकी जिंदगी बहुत अच्छी लगने लगती है, सफलता आपके कदम चुन लेती है,एक दूसरे के लए प्रेरणा स्त्रोत  बनते हैं ये होता है सच्चा प्यार..
......................................अब ये तो कलयुग है,यहा धोका बहुत यहा पर लोग सिर्फ़ घर परिवार धन दौलत संपाति मान सम्मान के लए प्यार करने का ढोंग करते हैं और या फिर शारीरिक भूख मिटाने के लए ही शादी या प्यार करते हैं..--------------------------तो फिर कैसे इंसान इस कलयुग मे सुखी रह पाएगा , मे बताता हू.
इंसान को किसी भी प्राणी से इतना प्रेम और दिल नही लगाना चाहिए की वो उसके बिना जी ना सके और उसके बिना उसकी जिंदगी नीरस हो जाए, ऐसे तो यहा कुछ भी नही टिकता , मतलब यहा पर कुछ भी चीज़ हुमेशा नही रहती , मनुष्या  जन्म लेता है और एक दिन जाता ह ...ये एक चक्र है कोई आता है तो कोई जाता है...तो फिर क्यू लोग उस शरीर से इतना प्रेम करते है जो एक दिन ना एक दिन जल जाता ह.............

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Comment by Rash Bihari Ravi on June 12, 2011 at 2:51pm
khubsurat soch lajabab
Comment by Rohit Singh Rajput on March 27, 2011 at 5:16pm

thanx  anrun kumar pandey ji

 

Comment by Abhinav Arun on March 27, 2011 at 1:51pm
अच्छी भावप्रवण सोच | रोहित जी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!!

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